(फोटो आयी होगी)संतमत सत्संग के अधिवेशन में जुटे श्रद्धालुजमशेदपुर : संसार में कोई कितना भी ऊंचा पद या कितना भी वैभव प्राप्त कर ले, उसके अंदर से और अधिक प्राप्त करने की चाहत नहीं मिटती. सांसारिकों की यही वासना, चाहना उन्हें नाना योनियों में भरमाती है. कहा भी है, ‘काम अछत सुख सपनेहुं नाहीं.’ उक्त बातें तुलसी भवन में सिंहभूम जिला संतमत सत्संग के 25 वें वार्षिक अधिवेशन को संबोधित करते हुए महर्षि मेंहीं आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर से पधारे महर्षि हरिनंदन परमहंस ने कहीं. उन्होंने कहा कि कामनाओं के वशीभूत व्यक्ति कभी सुखी नहीं हो सकता. ये कामनाएं विषयों की प्राप्ति अथवा भोग से नहीं मिटतीं. या मन में उठती हैं और यही मन जीव को विभिन्न योनियों में घुमाता रहता है. इसीलिए संतों ने मन को जीतने की शिक्षा दी है. इस मन से जो मुक्त हो जाये, वही मुक्तावस्था में परमात्मा को प्राप्त करता है. आज के प्रवचन में आचार्य जी के अलावा स्वामी गुरुनंदन बाबा, स्वामी सत्यप्रकाश बाबा, स्वामी परमानंद एवं स्वामी आत्मानंद ने भी आंतरिक भक्ति के साथ-साथ संयम, सदाचार, आचार-व्यवहार आदि की पवित्रता के संबंध में श्रोताओं को अवगत कराया.
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वासना जीवों को विभिन्न योनियों में भरमाती है
(फोटो आयी होगी)संतमत सत्संग के अधिवेशन में जुटे श्रद्धालुजमशेदपुर : संसार में कोई कितना भी ऊंचा पद या कितना भी वैभव प्राप्त कर ले, उसके अंदर से और अधिक प्राप्त करने की चाहत नहीं मिटती. सांसारिकों की यही वासना, चाहना उन्हें नाना योनियों में भरमाती है. कहा भी है, ‘काम अछत सुख सपनेहुं नाहीं.’ उक्त […]
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