अशोक झा, जमशेदपुर घाघीडीह जेल में बंद सीरियल क्राइम के आरोपी पंकज दुबे, अखिलेश सिंह गिरोह के सुधीर दुबे, मनोरंजन सिंह उर्फ लल्लू सहित नौ बंदियों की रिहाई में पेंच फंस सकता है. वहीं रितेश राय के खिलाफ अन्य मामले लंबित नहीं होने से उसकी रिहाई की आस बढ़ गयी है. पांच सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 436 ए के तहत ऐसे विचाराधीन बंदियों को रिहा करने का आदेश दिया है, जो अपने ऊपर लगे अपराध के लिए तय सजा का आधा समय जेल में काट चुके हैं. न्यायाधीशों ने की बंदियों की कागजातों की जांच मंगलवार को जमशेदपुर व्यवहार न्यायालय के आरके मिश्रा (अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी), एसएन लमाय (न्यायिक दंडाधिकारी), एम कुमार (न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी) ने घाघीडीह जेल में जाकर 10 बंदियों के कागजातों की जांच की. सभी मामलों की जांच पूर्ण होने के उपरांत ही बंदी रिहा हो पायेंगे. रितेश हो सकता है रिहा माफिया डॉन अखिलेश सिंह गिरोह के रितेश राय को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से लाभ मिल सकता है. इसके खिलाफ अन्य वाद लंबित नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत रितेश राय की संभावित आधी सजा की पूर्ण होने की तिथि 11 नवंबर 2013 को समाप्त हो गया है. रितेश राय 11 नवंबर 2008 से जेल में बंद है. इसके खिलाफ दर्ज मामले में संभावित सजा की अधिकतम अवधि 10 साल हो सकती है. विचाराधीन बंदियों का नाम ( 436 ए से आच्छादित ) पंकज दुबे, सुधीर दुबे, रितेश राय, मनोरंजन सिंह, तपन विश्वास, श्याम सिंह उर्फ चिकना, रोहित चंद्र सरकार, मो. रफीक, राजपाल सिंह उर्फ काना, आशिक गद्दी.
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पंकज, सुधीर, लल्लू सहित 8 बंदियों की रिहाई में फंसेगा पेंच
अशोक झा, जमशेदपुर घाघीडीह जेल में बंद सीरियल क्राइम के आरोपी पंकज दुबे, अखिलेश सिंह गिरोह के सुधीर दुबे, मनोरंजन सिंह उर्फ लल्लू सहित नौ बंदियों की रिहाई में पेंच फंस सकता है. वहीं रितेश राय के खिलाफ अन्य मामले लंबित नहीं होने से उसकी रिहाई की आस बढ़ गयी है. पांच सितंबर को सुप्रीम […]
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