टाटानगर स्टील प्रोडक्ट लिमिटेड कंपनी में हुए हादसे की जानकारी कारखाना निरीक्षक से छिपायी
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सिंहभूम चेंबर के उपाध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज
टाटानगर स्टील प्रोडक्ट लिमिटेड कंपनी में हुए हादसे की जानकारी कारखाना निरीक्षक से छिपायी चार अप्रैल 2018 को कंपनी में कर्मचारी के हाथ की चार अंगुलियां कट गयी थी जमशेदपुर : सुंदरनगर स्थित टाटानगर स्टील प्रोडक्ट लिमिटेड (टासपो) में हुई दुर्घटना की जानकारी छुपाने के मामले में कारखाना निरीक्षक विनीत कुमार ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी […]
चार अप्रैल 2018 को कंपनी में कर्मचारी के हाथ की चार अंगुलियां कट गयी थी
जमशेदपुर : सुंदरनगर स्थित टाटानगर स्टील प्रोडक्ट लिमिटेड (टासपो) में हुई दुर्घटना की जानकारी छुपाने के मामले में कारखाना निरीक्षक विनीत कुमार ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में नीतेश धुत पर कंपनी का मालिक व मैनेजर होने के नाते एक मुकदमा दायर किया है. नीतेश धुत सिंहभूम चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के उपाध्यक्ष हैं. 4 अप्रैल 2018 को कंपनी में हुई दुर्घटना में ठेका मजदूर मधु महतो की चार अंगुलियां कट गयी थीं. इस जानकारी को कंपनी मालिक ने कारखाना निरीक्षक से छिपाया था. कारखाना निरीक्षक के कार्यालय को 25 जून को इसकी जानकारी हुई थी.
इसके बाद कंपनी प्रबंधन को कारखाना निरीक्षक ने नोटिस दिया और पूरे मामले की जांच की. जांच के दौरान प्रबंधन ने जवाब दिया कि ऐसा गलती से हो गया है. नियम के तहत कंपनी प्रबंधन को हादसे की सूचना कारखाना निरीक्षक को 12 घंटे के भीतर देना था. दायर मुकदमे में कहा गया है कि कंपनी प्रबंधन ने सेफ्टी का उल्लंघन करने के साथ ही कारखाना के नियमों का भी अनुपालन नहीं किया.
शहर में हर माह औसतन 15 बच्चे डायबिटीज 27 बीपी से पीड़ित होकर पहुंच रहे अस्पताल
अधिकांश बच्चे मोटापा के शिकार, फैटी लीवर से पीड़ित बच्चों की संख्या भी 90 से ज्यादा, 10 साल से ऊपर के 30 फीसदी बच्चों में हो रहा है टाइप 2 डाइबिटीज व हाइपरटेंशन, टाइप 1 डाइबिटीज के बच्चों में अनुवांशिक दिक्कतें, बच्चों की आंखें भी हो रही खराब, माता-पिता के खराब लाइफ स्टाइल का भी पड़ रहा बच्चों पर असर
जमशेदपुर : मोबाइल का अधिक इस्तेमाल और फिजिकल एक्टिविटी कम होने से शहर के बच्चे खतरनाक बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. शहर के पांच से 15 साल के बच्चे भी लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. टाटा मुख्य अस्पताल व एमजीएम सहित अन्य अस्पतालों के आंकड़े काफी चौंकानेवाले हैं. मैदान में खेलना बंद कर मोबाइल का इस्तेमाल अधिक करने और फैटी खाने से बच्चे मोटापा, हाइपरटेंशन, डाइबिटीज और फैटी लिवर से पीड़ित हो रहे हैं. खराब लाइफ स्टाइल के कारण छोटी उम्र में किडनी तक पर असर पड़ रहा है. आंखें भी खराब हो रही हैं. लाइफ स्टाइल से जुड़ी ये बीमारियां, जो अमूमन 40 साल की उम्र में लोगों को चपेट में लेती हैं, अब 10 साल बच्चों में भी पायी जा रही हैं.
आंकड़े बताते हैं कि एमजीएम अस्पताल के पेडीयाट्रिक विभाग में एक माह में 10 से 12 साल के बीच के औसतन तीन बच्चे आते हैं, जो टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित होते हैं. टीएमएच में इस बीमारी से एक माह में औसतन नौ बच्चों को उनके अभिभावक इलाज कराने लाते हैं. हर माह औसतन तीन बच्चे टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित होकर यहां आते हैं.
शहर के 12 से 15 साल के बच्चों में हाइपरटेंशन की भी समस्याएं बढ़ रही हैं. टीएमएच में हर माह औसतन 12 और एमजीएम में 15 की संख्या में बच्चे इस बीमारी से पीड़ित होकर आ रहे हैं. इनमें 62 फीसदी लड़के और 38 प्रतिशत लड़कियां हैं. मोटापे के शिकार बच्चों में से 20 फीसदी में फैटी लिवर तक की शिकायत मिल रही है.
जो रोग 40 साल के बाद होता था, अब वह 10 साल के बच्चों में पाया जा रहा है
क्या हैं कारण
1. बच्चों में हाइपरटेंशन का सबसे बड़ा कारण लाइफस्टाइल है. ऐसे बच्चे ओवर पैंपर्ड (अत्यधिक प्यार) होते हैं. अपनी चीजें किसी से शेयर नहीं करते. यहां तक की खाना भी
2. बच्चे आजकल फैटी खाना, हाइ कॉलेस्ट्रॉल अधिक ले रहे हैं
3. मैदान में खेलना बंद कर मोबाइल का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं
4. ऐसे बच्चे जो अधिक सेंसेटिव होते हैं. इन्हें बात-बात पर गुस्सा आता है.
5. सिंगल बच्चे बहुत ज्यादा सोशल नहीं हो पाते. ऐसे बच्चे चीजों को शेयर करना नहीं सीख पाते. इनमें पेशेंस नहीं होता. सिंगल बच्चे डिप्रेशन के अधिक शिकार होते हैं. वे अकेला महसूस करते हैं
6. ऐसे बच्चे अपने इमोशंस कंट्रोल नहीं कर पाते
बच्चों का फिजिकल एक्सरसाइज और एक्टिविटी एकदम नहीं हो रहा है. परिवार में बच्चों को माता-पिता घुलने नहीं दे रहे हैं. इससे बच्चे मोटापे और फिर डाइबिटीज और हाइपरटेंशन के शिकार हो रहे हैं. यह अब आम बात होती जा रही है.
डॉ अजय राज, विभागाध्यक्ष, पेडीयाट्रिक, एमजीएम अस्पताल
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