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प्रशासन के जांच अभियान से परेशान ऑटो चालकों ने फिर की हड़ताल

जमशेदपुर : जांच अभियान रोकने और कागजात बनाने की व्यवस्था में सुधार की मांग को लेकर शहर में ऑटो चालक माह भर के अंदर दूसरी बार हड़ताल पर चले गये. ऑटो चालकों ने इस बार अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है. शिक्षित बेरोजगार ऑटो चालक संघ के संरक्षक बन्ना गुप्ता के नेतृत्व में सोमवार को […]

जमशेदपुर : जांच अभियान रोकने और कागजात बनाने की व्यवस्था में सुधार की मांग को लेकर शहर में ऑटो चालक माह भर के अंदर दूसरी बार हड़ताल पर चले गये. ऑटो चालकों ने इस बार अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है. शिक्षित बेरोजगार ऑटो चालक संघ के संरक्षक बन्ना गुप्ता के नेतृत्व में सोमवार को साकची स्थित आम बगान में सभा कर इसका एलान किया गया.
ऑटो चालक मंगलवार को उपायुक्त कार्यालय के समीप धरना देंगे. आम सभा को संबोधित करते हुए बन्ना गुप्ता ने कहा कि कागजात के नाम पर चालकों पर अत्याचार हो रहा है. गरीब ऑटो चालकों को परेशान किया जा रहा है. उन्होंने जांच अभियान रोकने की मांग की. वहीं दूसरी ओर उपायुक्त अमित कुमार ने कहा है कि चेकिंग अभियान से कोई राहत नहीं दी जायेगी.
अभियान लगातार चलता रहेगा. वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में सिटी बसों का परिचालन प्रभावी ढंग से कराया जायेगा. चेकिंग अभियान लगातार चलता रहेगा. जो गुट हड़ताल में शामिल नहीं है, उसेे पूरी सुरक्षा दी जायेगी.
इधर ऑटो चालकों की हड़ताल के कारण सोमवार को लोग दिन भर परेशान रहे. बाहर से आनेवाले लोग स्टेशन के बाहर भटकते रहे. बच्चों को स्कूल आने-जाने में भी काफी परेशानी हुई. शहर के विभिन्न चौक-चौराहों पर बड़ी संख्या में लोग ऑटो का इंतजार करने पाये गये.
एक अगस्त को स्कूली बच्चों को ले जा रहे ऑटो ड्राइवर की लापरवाही के कारण दूसरी कक्षा के छात्र अभिजीत की टेंपो से गिर कर मौत हो गयी थी. इसके बाद प्रशासन लगातार ऑटो चालकों की ओवरलोडिंग के खिलाफ जांच अभियान चला रहा है.
शिक्षित बेरोजगार ऑटो चालक संघ, स्कूली वाहन समिति और मिनी बस एसोसिएशन हड़ताल में शामिल
साकची स्थित आम बागान में हुई सभा, ऑटो चालकों के समर्थन में कूदे कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री बन्ना गुप्ता, आज डीसी कार्यालय के सामने धरना-प्रदर्शन
असर क्या
ऑटो बंद होने से स्कूल, कॉलेज, प्रतिष्ठान, दुकान, ऑफिस जानेवाले मध्यमवर्गीय लोगों को परेशानी होगी
सबसे ज्यादा परेशानी बाहर से आनेवाले यात्रियों को उठानी पड़ेगी.
मिनी बसों का परिचालन बंद होने से असंगठित मजदूर, कामकाजी कर्मियों, स्कूल, कॉलेज के छात्र- छात्राओं को परेशानी होगी
करीब तीन हजार स्कूली वाहन चलते हैं. अभिभावकों को निजी वाहनों का इस्तेमाल करना होगा.
क्या है विकल्प
शहर में जेएनएनयूआरएम के तहत 2007 में 50 सिटी बसें खरीदी गयी थी. कभी भी एक साथ सभी बसों का परिचालन शहर में नहीं हुआ. इन्हें सड़क पर उतारा जा सकता है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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