।।ब्रजेश सिंह।।
जमशेदपुरः बिरसानगर जोन नंबर पांच में लोग अज्ञात बीमारी से परेशान हैं. गिट्टी मशीन एरिया में कई लोग फलेरिया की चपेट में आ गये हैं, तो कइयों को दिखाई नहीं पड़ रहा है. कुछ लोगों को चलने में दिक्कत हो रही है.
इन बीमारियों के कारण उनकी नौकरी तक चली गयी है. उनके समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. कुछ घरों की महिलाएं दाई का काम कर घर की गाड़ी को खींच रही हंै. अब तक स्वास्थ्य विभाग का ध्यान इस बस्ती की ओर नहीं गया है. ना ही जनप्रतिनिधि ने इस इलाके का दौरा किया है. यहां ज्यादातर दिहाड़ी मजदूर हैं. हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 15 घरों का प्रभात खबर की टीम ने दौरा किया, जिसमें से दस घरों में पैर के दर्द और पैर फूलने की बीमारी का पता चला. साथ ही बच्चे बीमार दिखे.
बस्ती में गंदगी का अंबार
बस्ती में वैसे तो करीब दो सौ मकान हैं. उसमें से पहाड़ पर स्थित घरों की संख्या करीब 75 है. इन घरों में सबसे ज्यादा बीमार लोग हैं. चारों ओर गंदगी का अंबार लगा हुआ है. सांस लेने तक की स्थिति नहीं है. पानी निकलने का रास्ता नहीं है. सफाई का भी कोई इंतजाम नहीं है. चारों ओर मच्छरों पनप गये हैं.
झाड़-फूंक के चक्कर में लोग
इस इलाके के लोग गरीबी के कारण चूंकि चिकित्सक तक नहीं पहुंच पा रहे हंै और अतिरिक्त खर्च नहीं कर सकते है, इस कारण वे लोग झाड़-फूंक और तंत्र-मंत्र का सहारा ले रहे है. किसी तरह ये लोग चाहते है कि इसके माध्यम से ही उनकी तबीयत दुरुस्त हो जाये.
भोनी की धीरे-धीरे आंखों की रोशनी चली गयी
भोनी, उम्र 7 साल, पिता रघु मुखी, मां सुनीता मुखी. वह पहले देख पाती थी. भोनी ने बताया कि उसको पहले दिखता था. आहिस्ता-आहिस्ता उसको कम दिखना शुरू हुआ. कुछ कोशिश हुई, लेकिन फिर से उसकी आंखों की रोशनी चली गयी. अब तो बिल्कुल ही नहीं दिखता है. कारण पता नहीं चल पाया. माता-पिता उसका इलाज तक नहीं करा पा रहे हैं.
रोशनी भी गयी,शरीर का विकास भी नहीं
सुकरो खलको, उम्र करीब नौ साल, पिता बिरसा खलको, मां मर चुकी है. इसका शरीर देखकर पांच साल का ही लग रहा था. लेकिन उसको दिखता बिल्कुल ही नहीं था. पहले आंखे खुली हुई थी, वह दुनिया देख सकता था, लेकिन अब वह बिल्कुल ही नहीं देख सकता है. उसकी आंखों की रोशनी नहीं रही.
पैर में हुआ सूजन नौकरी भी छूटी
35 वर्षीय सिकंदर पुरती टाटा मोटर्स में ठेका मजदूरी करता था, लेकिन अभी वह बेरोजगार हो चुका है. अब वह चल भी नहीं पा रहा है. पैर में सूजन हो चुका है, जिस कारण सेफ्टी शू नहीं पहन सकता है. नौकरी छूट चुकी है. उसके घर की महिलाएं दूसरों के यहां बर्तन मांज कर रोजी-रोटी चला रही है.