भाई, मां व परिजनों के साथ पिता को लेकर जनशताब्दी एक्सप्रेस के डीआर-एक कोच में बड़बिल से चढ़ा. उन्होंने एक से छह नम्बर तक सीट (पीएनआर नम्बर-6503109927) आरक्षित किया था. मरीज को ऑक्सीजन देकर स्ट्रेचर से ट्रेन पर चढ़ाया. जरूरत पड़ने पर बोगी में ऑक्सीजन देने की व्यवस्था की गयी. इस बीच मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी. मशीन चालू करने के लिए बोगी के प्लग प्वाइंट का इस्तेमाल किया. उसमें बिजली नहीं आ रही थी. उन्होंने बोगी से सटे गार्ड केबिन के प्लग प्वाइंट से कनेक्शन देने के लिए गार्ड से गुजारिश की. गार्ड ने मना करने के साथ बोगी व गार्ड केबिन के बीच का शीशा बंद कर दिया.
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गार्ड ने नहीं की मदद, प्रभु को ट्वीट के बाद मिला इलाज
किरीबुरु: कोलकाता के अपोलो अस्पताल में इलाज कराने जा रहे गंभीर मरीज को ऑक्सीजन चढ़ाने के लिए बड़बिल-हावड़ा जनशताब्दी एक्सप्रेस के गार्ड ने चार्जिंग प्वाइंट उपलब्ध नहीं कराया. इससे आक्रोशित मरीज के दोनों पुत्रों ने ट्विटर पर केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु से शिकायत कर दी. इसके बाद चक्रधरपुर डीआरएम ने तुरंत मरीज के पुत्र […]
किरीबुरु: कोलकाता के अपोलो अस्पताल में इलाज कराने जा रहे गंभीर मरीज को ऑक्सीजन चढ़ाने के लिए बड़बिल-हावड़ा जनशताब्दी एक्सप्रेस के गार्ड ने चार्जिंग प्वाइंट उपलब्ध नहीं कराया. इससे आक्रोशित मरीज के दोनों पुत्रों ने ट्विटर पर केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु से शिकायत कर दी. इसके बाद चक्रधरपुर डीआरएम ने तुरंत मरीज के पुत्र विनय को फोन कर मामले की जानकारी ली. ट्रेन के चाईबासा पहुंचने पर रेल अधिकारियों ने गार्ड से बात की.
इसके बाद ऑक्सीजन के लिए गार्ड केबिन से चार्जिंग प्वाइंट के इस्तेमाल करने की व्यवस्था करायी. बोगी के प्लग प्वाइंट खराब होने के कारण बढ़ी परेशानी. इस संबंध में किरीबुरु के विनय सिंह व छोटू सिंह ने बताया कि उनके पिता परमात्मा सिंह(80) की स्थिति सेल के किरीबुरु जेनरल अस्पताल में बिगड़ गयी. डॉक्टरों ने उन्हें अपोलो अस्पताल कोलकाता रेफर कर दिया.
टीटीइ के आग्रह को भी गार्ड ने किया अनसुना
इसके बाद विनय व छोटू ने रेल मंत्री सुरेश प्रभु से शिकायत की. इसके बाद चक्रधरपुर डीआरएम ने विनय से बात की. विनय ने डीआरएम को बताया कि गार्ड मदद देने को तैयार नहीं है. कोच के टीटीई से भी आग्रह करवाया, लेकिन उसने मदद नहीं दी. बाद में शाम करीब 3.35 बजे टीटीई अमन कुमार व एक अन्य टीटीई मरीज के पास आये. उन्होंने मरीज को दूसरे कोच में शिफ्ट करने की बात कही. हालांकि मरीज की स्थिति वैसी नहीं थी कि उसे दूसरे कोच में ले जा सके. दूसरी ओर गार्ड ने खुद को बेदाग साबित करने के लिए मोबाइल चार्ज करने के लिए कनेक्शन मांगने की बात अधिकारियों से कही.
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