हजारीबाग. संत कोलंबा महाविद्यालय हजारीबाग के अनमोल डेम्टा सभागार में संस्कृत विभाग की ओर से श्री मद भगवतगीता जयंती का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य एवं प्राध्यापकों ने दीप प्रज्वलित कर किया. मंगलाचरण पतंजलि मिश्रा ने की. मंच संचालन छात्र गौरव कुमार दुबे ने किया. सरस्वती वंदना सप्तम सत्र की छात्रा समूह ने की. मौके पर प्राचार्य डॉ विमल रेवेन ने कहा कि गीता ब्रह्म की वाणी है. इसके सामान्य अर्थ को समझना आसान है, किंतु विशेष अर्थ को समझना कठिन. छात्रों को चाहिए कि महाविद्यालय के विभिन्न हिस्सों में गीता के श्लोकों को लगायें, जिससे साधारण लोग भी इसे समझ सकें. दर्शनशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ राजकुमार चौबे ने गीता में निष्काम कर्मयोग, स्थित प्रज्ञ, समत्व बुद्धि, प्रवृत्ति-निवृत्ति मार्ग के समन्वय पर चर्चा की. सिजल मिश्रा ने गीत प्रस्तुत किया. सुमन ने अपनी स्वरचित कविता प्रस्तुत की. अभिषेक कुमार ने गीता के महत्व पर भाषण दिया. कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के प्राध्यापक और छात्र उपस्थित थे.
आज भी गीता उतनी ही प्रासंगिक है, जितना 5000 वर्ष पहले थी
परीक्षा नियंत्रक डॉ प्रदीप प्रसाद ने कहा कि पाश्चात्य देशों में गीता का अनुवाद कर बहुत सारे शोध हो रहे हैं. आज भी गीता उतनी ही प्रासंगिक है, जितना 5000 वर्ष पहले थी. हमें भी गीता के रहस्यों का अन्वेषण करना चाहिए. हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ अवधेश कुमार मेहता ने कहा कि गीता के श्लोकों के स्मरण से विभिन्न प्रकार के दुःखों से छुटकारा पाया जा सकता है. राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ अशोक राम ने कहा कि गीता प्राचीन सभ्यता में प्रतिदिन गाये जानेवाले ग्रंथों में से एक है. इतिहास विभाग के प्राध्यापक डॉ मुकेश कुमार ने कहा कि गीता जीवन जीने का सार है. संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ सुबोध कुमार साहू ने कहा कि श्रीमद भगवतगीता धर्म की व्याख्या प्रस्तुत करता है. आध्यात्मिक, आधिदैविक, आधिभौतिक तीनों प्रकार के दुःखों का निवारण तथा तीनों प्रकार की उन्नति के लिए गीता सर्वोत्कृष्ट ग्रंथ है.
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