सिविल कोर्ट परिसर में इस वर्ष की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत लगी हजारीबाग. सिविल कोर्ट परिसर में शनिवार को इस वर्ष की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत लगी. इसका उदघाटन विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष सह प्रधान जिला सत्र न्यायधीश रंजीत कुमार समेत कई न्यायिक पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से किया. इसमें अलग-अलग प्रकार के 58 हजार 279 मुकदमों का आपसी सहमति से निबटारा किया गया. राष्ट्रीय लोक अदालत से 59 करोड़ 78 लाख 54 हजार 865 रुपये का राजस्व सरकार को प्राप्त हुआ. राष्ट्रीय लोक अदालत में मुकदमों के निबटारे के लिए 13 बेंच बनाये गये थे. प्रत्येक बेंच में एक न्यायिक पदाधिकारी, दो न्यायालय कर्मी, एक संबंधित विभाग के पदाधिकारी एवं एक पैनल अधिवक्ता की सेवा ली गयी. राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से बैंक रिकवरी के 1133 मामले, सुलहनीय अपराध के 267, विद्युत विभाग के 202, लेबर डिस्पयूट के दो, भू-अर्जन के 1054, वाहन दुर्घटना दावा के 13, वैवाहिक मुकदमों के 37, चेक बाउंस के 131, सिविल मामले 34, वित्तीय मामलों से संबंधित 22963 एवं अन्य 32269 मामलों का निबटारा किया गया. राष्ट्रीय लोक अदालत के उदघाटन के अवसर पर जिला जज रंजीत कुमार ने कहा कि लोक अदालत न्याय पाने का सबसे आसान और सुलाह उपाय है. आपसी समझौते के कारण मुकदमे के निबटारे में कोई खर्च नहीं होता है. लोक अदालत में अधिक से अधिक मामला पहुंचे, इसके लिये सुदूरवर्ती क्षेत्रों में इसके प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है. अन्य न्यायिक पदाधिकारियों ने भी लोक अदालत की महत्ता पर प्रकाश डाला. प्राधिकार के सचिव गौरव खुराना ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत को सफल बनाने के लिए विधिक सेवा प्राधिकार अपने दायित्वों का निर्वाह कर रहा है. प्राधिकार के अध्यक्ष जिला सत्र न्यायधीश समय-समय पर प्राधिकार के कार्यों की समीक्षा करते रहे हैं. राष्ट्रीय लोक अदालत में सभी न्यायिक पदाधिकारी, न्यायालयकर्मी, बार एसोसिएशन के अधिवक्ता एवं काफी संख्या में वादकारी शामिल हुए.
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