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उत्पादन बढ़ाने के लिए डेढ़ एकड़ में लगाये जा रहे हैं चाय के पौधे

हजारीबाग : झारखंड का एकमात्र चाय बागान हजारीबाग के डेमोटांड़ पार्क में है. यह चाय बागान शहर से 10 किमी दूर हजारीबाग-रामगढ़ (एनएच-33) पथ पर है. इस बागान से प्रतिवर्ष करीब एक क्विंटल चायपत्ती तैयार की जाती है, जो इस संस्थान के माध्यम से बेची जाती है. चाय की खेती डेमोटांड़ भूमि संरक्षण अनुसंधान व […]

हजारीबाग : झारखंड का एकमात्र चाय बागान हजारीबाग के डेमोटांड़ पार्क में है. यह चाय बागान शहर से 10 किमी दूर हजारीबाग-रामगढ़ (एनएच-33) पथ पर है. इस बागान से प्रतिवर्ष करीब एक क्विंटल चायपत्ती तैयार की जाती है, जो इस संस्थान के माध्यम से बेची जाती है. चाय की खेती डेमोटांड़ भूमि संरक्षण अनुसंधान व प्रशिक्षण केंद्र प्रक्षेत्र में 2003 से शुरू की गयी है. उत्पादन बढ़ाने के लिए डेढ़ एकड़ जमीन में चाय के पौधे लगाये जा रहे हैं. यहां टीबी-26 व तेनाली किस्म की चाय के पौधे लगे है, जो कम नमी में भी उत्पादित होगा.

जैविक खाद से तैयार होता है चाय: बागान के माली कैलाश नाथ लोहरा ने बताया कि इस केंद्र में जैविक खाद से चाय का उत्पादन किया जाता है. चाय की फसल अच्छी हो, इसके लिए गोबर, सरसों, सुरगुजा व नीम की खली को वर्ष में दो बार पौधे में डाला जाता है. पौधों पर सूर्य की रोशनी नहीं पड़े. इसके लिए बकेन का पेड़ लगाया गया है. बकेन का पेड़ पर काली मिर्च लगायी गयी है. पौधों पर कीड़ा न लगे, इसके लिए कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है.
स्प्रिकंल सिस्टम से चाय पौधे का पटवन: चाय बगान में सिंचाई स्प्रिकंल सिस्टम से की जाती है. जगह-जगह स्प्रिकंल लगाये गये हैं. पौधों में अधिक पानी की जरूरत होती है.
सप्ताह में 10 किलो चायपत्ती का उत्पादन: चाय बगान में 10 किलो चायपत्ती सप्ताह में तोड़ी जाती है. पहले सूर्य की किरण में सुखाया जाता है. फिर मिक्सर मशीन में सूखी चायपत्ती को डाल कर तैयार किया जाता है. जुलाई, अगस्त, सितंबर, अक्तूबर व नवंबर माह में चायपत्ती तोडी जाती है. एक वर्ष में करीब एक क्विंटल चायपत्ती तैयार होती है. संस्थान में 2008 से सिप्टन एंड कंपनी की मशीन लगायी गयी है.
300 रुपये किलो चायपत्ती की कीमत: चाय बागान की चायपत्ती की कीमत 300 रुपये प्रति किलो है. संस्थान प्रतिवर्ष 30 हजार रुपये की चाय बेचती है. चाय से आय बढ़ाने के लिए बागान का विस्तार किया जा रहा है. यह बागान डेढ़ एकड़ भूमि पर फैला है. चाय के पौधे को दार्जिलिंग से मंगाया गया है.

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