दारू : हाथियों का कहर इरगा पंचायत के लुकैया मांझी टोला (भंडरवार) में दूसरे दिन बुधवार को भी जारी रहा. पूरे गांव में हाथियों का आतंक साफ दिख रहा है. लोग पिछले दो दिन से गांव छोड़ कर भाग गये हैं. गांव में पूरी तरह सन्नाटा है.
शायद ही कोई घर है जिसमें हाथियों का गुस्सा नहीं झे ला हो. सभी घरों के कच्चे दीवार, खपरैल छप्पर टूट कर बिखरे पड़े हैं. हाथियों के कहर से स्कूल का भवन भी नहीं बच पाया. हाथियों की झुंड ने गांव को इस कदर रौंद दिया कि मानो कई सालों से गांव वीरान है.
पूरा गांव खंडहर बना गया है. खेत खलिहानों में भी हाथियों की झुंड की तबाही दिखती है. हाथियों ने खेत में लगे मकई, मूंगफली, धान के फसल को रौंद दिया.
धनिया देवी (पति- बाबूलाल मांझी) बीडीओ से सहायता लेने के लिए अपने टूटे घर आयी थी. उसने बताया कि हाथियों की झुंड कल शाम पांच बजे ही गांव पहुंच गये. हमलोग दूसरे गांव में रात बिताने के लिए जाने के लिए तैयारी कर रहे थे.
शाम में पांच बजे घर के बाहर खाना बना कर रखी हुई थी. खाने की तैयारी कर रहे थे. इसी बीच हाथियों की झुंड पहुंचा. हमलोग किसी तरह जान बचा कर बिना खाना खाये गांव छोड़ कर भाग गये. वहीं किशुन मांझी की पत्नी ललिता देवी ने कहा कि हाथियों का डर इस कदर गांव वालों पर छाया रहा कि जान बचाने के लिए मंगलवार की रात उफान वाले कोनार नदी में छोटे-छोटे बच्चों को लेकर पड़ोस के गांव में शरण लिया.
पीड़ित छोटन हांसदा ने बताया कि हाथियों के उत्पात मेरे छोटे बेटे ने देखा. तब से मेरा बेटा बीमार हो गया है. टूटा हुआ घर देख कर बार-बार रोने लगता है. बरसात में मिट्टी का घर कैसे बनेगा समझ में नहीं आ रहा है.