हजारीबाग : नगर निगम क्षेत्र में आउटसोर्सिंग से सफाई की योजना फेल हो गयी है. शहर की बेहतर सफाई के उद्देश्य से आउटसोर्सिंग का सहारा लिया गया, लेकिन स्थिति यथावत है. निगम ने रांची के निर्माण आउटसोर्सिंग कंपनी से दो पाली में सफाई के लिए 150 सफाई कर्मियों का एकरारनामा किया, लेकिन कंपनी सभी सफाई […]
हजारीबाग : नगर निगम क्षेत्र में आउटसोर्सिंग से सफाई की योजना फेल हो गयी है. शहर की बेहतर सफाई के उद्देश्य से आउटसोर्सिंग का सहारा लिया गया, लेकिन स्थिति यथावत है. निगम ने रांची के निर्माण आउटसोर्सिंग कंपनी से दो पाली में सफाई के लिए 150 सफाई कर्मियों का एकरारनामा किया, लेकिन कंपनी सभी सफाई कर्मियों से काम नहीं करा पा रही है.
150 सफाई कर्मियों की सूची न तो निगम के पास है और न ही निर्माण ऐजेंसी के पास. एजेंसी प्रतिदिन सफाई कर्मियों का नाम बदलते रहती है, जिससे आउटसोर्सिंग से लगाये गये मजदूरों की न तो पूरी सूची हाथ लगती है और न पहचान हो पाती है.
स्थिति जस की तस: इधर, निर्माण एजेंसी एकरारनामा के अनुसार प्रतिमाह लगभग 12.64 लाख रुपया निगम से सफाई के बदले वसूलती है. सफाई वाहन चलाने के लिए लक्ष्य एनजीओ ने 40 चालकों का एकरारनामा निगम से किया है. इसके लिए करीब 3.60 लाख रुपया प्रतिमाह एनजीओ ले रहा है. इस तरह से नगर निगम दोनों एजेंसियों को प्रतिमाह लगभग 16.34 लाख रुपये का भुगतान कर रहा है, लेकिन शहर में गंदगी की स्थिति जस की तस है.
क्या है एकरारनामा: नगर निगम और आउटसोसिंग कंपनियों के बीच एकरारनामा के अनुसार 150 सफाई कर्मी और 40 वाहन चालक को प्रतिदिन दो पाली काम करना है. रात नौ बजे से सुबह चार बजे तक और सुबह सात से 12 बजे तक सफाई का काम करना है. एजेंसी के अनुसार 70 सफाई मजदूर हर रात 10 टीमों में बंट कर सफाई करते हैं.
सुबह 36 टीपर में दो-दो सफाई कर्मी कूड़ा उठाने के लिए निकलते हैं. शेष आठ सफाई कर्मी आपात स्थिति में सूचना मिलते ही तुरंत सफाई कार्य के लिए लगाये जाते हैं.
तालमेल का अभाव: निर्माण एजेंसी के सुशील दुबे ने बताया कि मेरा काम निगम को सफाई मजदूर उपलब्ध कराना है, सफाई कार्य कराना नहीं. निगम मजदूरों से अपनी आवश्यकतानुसार काम करा सकता है. इन्होंने कहा कि सफाई मजदूर सुबह सात बजे पहुंचते हैं, लेकिन वाहन चालक नौ बजे टीपर के पास पहुंचते हैं. जिससे समय पर सफाई नहीं हो पाती है.