एसबीआइ झुमरीतिलैया शाखा के बाहर क्षेत्रीय सचिव दया शंकर के नेतृत्व में प्रदर्शन हुआ. मौके पर सीमा सरावगी, प्रियंका, सुनीता, प्रभाकर, मोहनीस परमार, तपन कुमार नाथ, आदित्य देव, समरेश कुमार सिंह, विकास कुमार, प्रदीप घोष, प्रमोद कुमार, महेंद्र कुमार, दशरथ मंडल, पूर्णनेंदु पांडेय, प्रमोद चौधरी, नागेश्वर राम, अनिल कुमार, ज्ञानचंद कुमार, वेद प्रकाश, अवधेश कुमार, रीतेश, अर्चना पांडेय, सविता, विमला लकड़ा, महादेव प्रसाद, अशोक, उमाशंकर प्रसाद, मानस बनर्जी, अशोक सिन्हा, नागेश्वर राम, वाइसी गुप्ता, सुजीत अंबष्ट, प्रेम कुमार मौजूद थे.
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हड़ताल: जिले के 17 बैंकों की 51 शाखाओं में लटके रहे ताले, उपभोक्ता परेशान, 70 करोड़ का कारोबार प्रभावित
झुमरीतिलैया: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण का विरोध व अन्य मांगों को लेकर यूनाइटेड फोरम आॅफ बैंक यूनियन के बैनर तले जिले के विभिन्न सरकारी बैंकों में हड़ताल रही. बैंक पदाधिकारियों, कर्मियों के हड़ताल पर रहने से बैंकों में कामकाज ठप रहे. जिले में 17 बैंकों की 51 शाखाओं में ताला बंद रहने से […]
झुमरीतिलैया: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण का विरोध व अन्य मांगों को लेकर यूनाइटेड फोरम आॅफ बैंक यूनियन के बैनर तले जिले के विभिन्न सरकारी बैंकों में हड़ताल रही. बैंक पदाधिकारियों, कर्मियों के हड़ताल पर रहने से बैंकों में कामकाज ठप रहे. जिले में 17 बैंकों की 51 शाखाओं में ताला बंद रहने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा. बैंकों की हड़ताल से व्यवसाय पर खासा असर पड़ा. करीब 70 करोड़ का कारोबार पूरे जिले में प्रभावित हुआ है.
कार्यक्रम के अनुसार मंगलवार की सुबह में बैंक कर्मियों ने यूनियन के बैनर तले विभिन्न बैंक शाखओं के बाहर प्रदर्शन करते हुए सरकार की नीतियों की आलोचना की. वक्ताओं ने कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण करने पर तुली है. विलय व बैंकों के एकीकरण की योजना को बंद नहीं की गयी, तो जोरदार आंदोलन होगा. हड़ताल के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के स्टेट बैंक आॅफ इंडिया, बैंक आॅफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक, बैंक आॅफ बड़ौदा, आइडीबीआइ, यूनाइटेड बैंक आॅफ इंडिया की शाखाएं बंद रहीं. बैंक आॅफ इंडिया तिलैया शाखा के बाहर एलडीएम सुधीर शर्मा व संतोष सिन्हा के नेतृत्व में कर्मियों ने एकजुटता जाहिर की. मौके पर अजीत कुमार चौरसिया, किशोर कुमार, समीर कुमार शर्मा, शिव शंकर वर्णवाल, विकास पाल, विमल केसरी, प्रेम सिंह, अरविंद ठाकुर, विनोद धोबी, रंजन कुमार, देव नंदन ठाकुर, शिव कुमार पासवान, जगदीश, जगरनाथ, सुरेंद्र भगत, सहदेव यादव, मुकेश, संतोष, किसुन, विजय प्रताप सिंह, श्याम कुमार वाल्मीकि मौजूद थे.
बैंक कर्मियों की मांगें
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण बंद हो, विलय व बैंकों के एकीकरण की योजना बंद हो.
काॅरपोरेट के एनपीए को खारिज न करें.
जान-बूझ कर बैंक ऋणों का भुगतान नहीं करना आपराधिक अपराध के रूप में घोषित हो.
एनपीए वसूली पर संसदीय समिति की सिफारिशों को लागू किया जाये.
अशोध ऋणों के लिए शीर्ष प्रबंधन, कार्यकारिणी की जवाबदेही सुनिश्चित की जाये.
प्रस्तावित एफआरडीआइ बिल को हटाया जाये.
बैंक बोर्ड ब्यूरो को समाप्त किया जाये.
चार्जेस के रूप में ग्राहकों पर काॅरपोरेट एनपीए का बोझ न डाला जाये.
जीएसटी के नाम पर सेवा शुल्क न बढ़ायी जाये.
विमुद्रीकरण व सरकारी योनजाओं की लागत की प्रतिपूर्ति सरकार बैंकों को करें.
विमुद्रीकरण योजना से संबंधित कर्मचारियों व अधिकारियों के मुद्दों का निपटारा किया जाये.
अतिशीघ्र बैंकों के कर्मचारी अधिकारी निदेशक पदों को भरा जाये.
सरकार के दिशा निर्देश के अनुसार अनुकंपा नियुक्ति योजनाओं को अमल में लाया जाये.
ग्रेच्युटी अधिनियम के अंतर्गत ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा हटायी जाये और इसे पूर्णत: से आयकर मुक्त किया जाये.
भारतीय रिजर्व बैंक व भारत सरकार के अनुसार बैंकों की पेंशन योजना में सुधार किया जाये.
सभी बैंकों में यथोचित नियुक्ति की जाये.
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