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पीड़ित महिला ने वाद दाखिल कर ठोका 18 लाख रुपये का दावा

सदर अस्पताल के सिविल सर्जन, तीन चिकित्सक और एक सहायक के विरुद्ध सेवा में त्रुटि का मुकदमा दर्ज

सदर अस्पताल के सिविल सर्जन, तीन चिकित्सक और एक सहायक के विरुद्ध सेवा में त्रुटि का मुकदमा दर्ज गुमला. चिकित्सा सेवा में त्रुटि के कारण प्रसूति महिला नीलू कुमारी की जान पर आयी, तो उसके पति दिलीप साहू ने मुस्कान अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर चास बोकारो में भर्ती करा कर इलाज कराया और पत्नी की जान बचायी. इसके लिए उन्हें भारी खर्च उठाना पड़ा. इसके बाद नीलू कुमारी ने सिविल सर्जन सदर अस्पताल गुमला समेत चिकित्सक डॉक्टर निर्मला मुंडू, डॉ रोशन खलखो, डॉ निशा मिंज और ऑपरेशन थियेटर के सहायक पिंकू के विरुद्ध जिला उपभोक्ता फोरम में वाद दाखिल कर 18 लाख रुपये हरजाना का दावा ठोका है. गुमला के चौली ग्राम निवासी गर्भवती नीतू कुमारी ने जिला उपभोक्ता फोरम गुमला में वाद दाखिल की है. अपने आवेदन में कहा है कि सात मई 2024 को सदर अस्पताल में उसके पति दिलीप साहू ने उसे भर्ती कराया. अस्पताल में चिकित्सकों ने जांच के बाद कहा कि बच्चे के गर्दन में नाड़ी फंसी है. इसलिए ऑपरेशन करना पड़ेगा. चिकित्सकों की सलाह पर दिलीप कुमार ने अपनी पत्नी का ऑपरेशन करा दिया और उस ऑपरेशन से नीलू और दिलीप को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. नीलू को 17 मई को चिकित्सकों ने अस्पताल से छुट्टी कर दी. घर आने के एक सप्ताह के बाद भी नीलू के पेट में दर्द कम नहीं हुआ और गुप्तांग के रास्ते खून का रिसाव होने लगा. इस कारण नीलू के पति ने उसे फिर से सदर अस्पताल लाकर चिकित्सकों को दिखाया. इस पर चिकित्सकों ने कहा कि ऑपरेशन के बाद ऐसा होता है. दवा खाते रहिये. महीने भर में यह ठीक हो जायेगा. दवा लेकर नीलू अपने घर चली गयी. लेकिन दवा खाने के बाद भी उसकी तबीयत और बिगड़ने लगी. तब दिलीप ने किसी परिचित से बात करने के बाद उसे मुस्कान अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर चास बोकारो में भर्ती कराया, जहां अल्ट्रासाउंड के बाद चिकित्सकों ने कहा कि 7.7 सेंटीमीटर का कोई वस्तु पेट में छूट गया है. इसलिए उसे पुनः ऑपरेशन कर निकलना आवश्यक है. परिणाम स्वरूप 23 अगस्त 2024 को नीलू का दोबारा ऑपरेशन हुआ और उसके गर्भ से 7.7 सेंटीमीटर का एक कपड़ा निकाला गया. इसके बाद नीलू का इलाज चला. इस दौरान उसके चिकित्सा में करीब पांच लाख रुपये का खर्च आया. अपने शिकायत पत्र में नीलू ने कहा है कि इसके बाद सिविल सर्जन को वकालतन नोटिस भेजा गया. लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आया. इसके बाद लाचार होकर उसे यह मुकदमा जिला उपभोक्ता फोरम गुमला में करना पड़ा है. उन्होंने दावा किया है कि उसके पास अस्पताल का 3,15,119 रुपये का बिल है. इसके अलावा आने-जाने में उसे एक लाख रुपये का खर्च हुआ. उसे मानसिक प्रताड़ना और पीड़ा के लिए सात लाख नवजात बच्चे को स्तनपान करने से वंचित रखने के लिए क्षतिपूर्ति 6,34,881 रुपये यानी नीलू कुमारी ने उपभोक्ता फोरम में 18 लाख रुपये का दावा ठोका है. न्यायालय ने मामला दर्ज कर सुनवाई के लिए 18 अगस्त 2025 की तारीख निर्धारित की है.

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Prabhat Khabar News Desk
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