गुमला. सदर प्रखंड की पुग्गू पंचायत में सरहुल महोत्सव मनाया गया. पाहन, पुजार महतो, सुसार द्वारा चाला टोंका में पूजा की गयी. पूजा कर पाहन द्वारा सभी के सुख, समृद्धि, शांति व स्वस्थ जीवन, अच्छी बारिश की कामना की गयी, ताकि पृथ्वी पर रहने वाले सभी मानव के साथ जीव जंतु, सुख-समृद्धि व आनंद पूर्वक जीवन यापन कर सके. पूर्व मुखिया बुधू टोप्पो ने कहा कि यह पर्व सभी के लिए सुख, समृद्धि व खुशहाली जीवन प्रदान करें. सरहुल दो शब्दों से मिल कर बना है. यहां सर का अर्थ सरई अर्थात सखुआ (साल पेड़) के फूल, फल से होता है. जबकि हूल का अर्थ क्रांति से है. इस प्रकार सखुआ के फूलों की क्रांति को सरहुल के नाम से जाना जाता है. कार्तिक उरांव महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ तेतरू उरांव बताया कि सरहुल के एक पहले दिन को ठड़ुपास कहते हैं. सरहुल के एक दिन पहले धरती पर किसी प्रकार का कार्य सख्त मना है. सरहुल के दिन उनका सूर्य के साथ धरती का विवाह होता है. यह महापर्व आदिवासी समुदाय का सबसे प्रमुख पर्व है. धन्यवाद ज्ञापन तेजपाल उरांव ने किया. कार्यक्रम में आये विभिन्न खोड़हा दलों को झंडा देकर सम्मानित किया गया. मौके पर सोनी उरांव, बिरसाइ उरांव, वार्ड सदस्य छोटू उरांव, सुकरू उरांव, सोनी उरांव, विनय उरांव, विनोद मिंज, सत्यनारायण बड़ाइक, बिरसाइ उरांव, धेमू उरांव, लालू उरांव, विनोद उरांव, बुधराम उरांव, दुर्गा उरांव, पहान विजय मुंडा, महतो रूपेश उरांव, बलदेव उरांव, सुमन टोप्पो, फेकू उरांव आदि मौजूद थे.
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