गुमला. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इकरामुल हक ने कहा है कि पेसा नियमावली की स्वीकृति झारखंड के आदिवासी एवं अनुसूचित क्षेत्रों के लिए ऐतिहासिक फैसला है. यह कानून केवल कागज़ी नहीं, बल्कि गांव के अंतिम व्यक्ति को सत्ता और सम्मान देने का माध्यम है. अब ग्रामसभा ही गांव की सर्वोच्च संस्था होगी. जिसकी सहमति के बिना किसी भी प्रकार का खनन, जलसंसाधन का उपयोग या लघु वनोपज का दोहन संभव नहीं होगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आदिवासी समाज की भावनाओं और संवैधानिक अधिकारों को समझते हुए जो निर्णय लिया है. उससे लोकतंत्र की जड़ें और मजबूत होंगी. उन्होंने ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह की भूमिका की भी सराहना करते हुए कहा कि उनके प्रयासों से पेसा नियमावली को व्यवहारिक और जनोपयोगी स्वरूप मिला है. स्कूल, अस्पताल और विकास योजनाओं पर ग्रामसभा का नियंत्रण होने से जवाबदेही बढ़ेगी और योजनाएं वास्तव में जरूरतमंदों तक पहुंचेंगी. यह फैसला आदिवासी स्वशासन की भावना को सशक्त करेगा और गांवों में सामाजिक–आर्थिक विकास की नयी शुरुआत करेगा. इकरामुल हक ने कहा कि कांग्रेस पार्टी पेसा कानून को पूरी मजबूती से जमीन पर उतारने के लिए प्रतिबद्ध है और गांव–गांव जाकर लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जायेगा. ताकि इस ऐतिहासिक निर्णय का लाभ हर ग्रामीण तक पहुंचे.
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