गुमला. बजरंग दल गुमला के कार्यकर्ताओं ने शनिवार को राष्ट्रपति के नाम उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में कहा गया है कि वक्फ कानून के विरोध की आड़ में बंगाल को जिस प्रकार हिंसा की आग में जलाया जा रहा है व हिंदुओं को प्रताड़ित किया जा रहा है. राष्ट्रविरोधी और हिंदू विरोधी तत्वों को निर्बाध रूप से अपने षड्यंत्रों को क्रियान्वयित करने की खुली छूट दी जा रही है. इससे लगता है कि बंगाल की स्थिति अधिक चिंताजनक है. मुर्शिदाबाद से शुरू हुई यह भीषण हिंसा अब संपूर्ण बंगाल में फैलती दिखायी पड़ रही है. शासकीय तंत्र दंगाइयों के सामने केवल निष्क्रिय ही नहीं, अपितु कई स्थानों पर इनका सहायक या प्रेरक बन गया है. इससे पहले कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाये. केंद्र सरकार को प्रशासन का नियंत्रण व संचालन अपने हाथ में लेकर राष्ट्र विरोधी व हिंदू विरोधी तत्वों को सजा दिलवानी चाहिए. समुदाय विशेष की भीड़ द्वारा 11 अप्रैल को वक्फ कानून के विरोध के नाम पर किया गया हिंसक प्रदर्शन कानून बनाने वाली सरकार के विरोध में नहीं अपितु हिंदुओं पर हिंसक आक्रमण के रूप में था. हिंदू समाज का इस कानून के निर्माण में कोई भूमिका नहीं थी और यह एक शुद्ध संवैधानिक प्रक्रिया थी. इसका स्पष्ट अर्थ है कि वक्फ तो केवल बहाना था. असली उद्देश्य मुर्शिदाबाद के हिंदू को शून्य बनाना था. हिंदू का अस्तित्व खतरे में पड़ चुका है. कानून व्यवस्था पूर्ण रूप से नष्ट हो चुकी है. तृणमूल के असामाजिक तत्व व गुंडों के नियंत्रण व निर्देश पर ही प्रशासन काम करने के लिए विवश है. इसलिए जनता मांग करती है कि बंगाल में अविलंब राष्ट्रपति शासन लगाया जाये. बंगाल की हिंसा की जांच एनआइए द्वारा करायी जाये और दोषियों को अविलंब दंडित किया जाये. बंगाल की कानून व्यवस्था का संचालन केंद्रीय सुरक्षा बलों के हाथों में दिया जाये. बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान कर उनको निष्कासित किया जाये. बंगाल व बांग्लादेश की 450 किमी की सीमा पर तार लगाने का काम अविलंब शुरू किया जाये. ज्ञापन सौंपने वालों में संतोष यादव, शिवा गुप्ता समेत अन्य लोग शामिल हैं.
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