चैनपुर. झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा गुमला के तत्वावधान में चैनपुर ब्लॉक स्थित कौशल विकास केंद्र के सभागार में सभा हुई. सभा में झारखंड आंदोलनकारी को न्याय के साथ राजकीय मान-सम्मान, स्वाभिमान से जीने के अधिकार के लिए अलग पहचान, पुत्र-पुत्रियों के रोजी-रोजगार व नियोजन की 100 प्रतिशत गारंटी करने व जेल जाने की बाध्यता समाप्त करते हुए सभी को सम्मान पेंशन राशि 50-50 हजार रुपये सरकार से देने की मांग की गयी. मुख्य अतिथि झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के संस्थापक प्रधान सचिव पुष्कर महतो ने कहा कि झारखंड में अलग-अलग कंपनियां बना कर झारखंड आंदोलनकारियों की भावनाओं को कुचलने का काम किया जा रहा है. झारखंड अलग राज्य के मूल मायं-माटी, भाषा-संस्कृति, पहचान, विरासत, परंपरा, अस्तित्व व अस्मिता को मिटाने का षड्यंत्र किया जा रहा है. जल, जंगल, जमीन की सुरक्षा के सभी संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर पूंजीवाद व उपनिवेशवाद की ताकतों द्वारा हमें विस्थापित व पलायन करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. हमारे जंगलों को लाखों लाख की संख्या में वृक्ष काट कर पर्यावरण दिवस पर एक पेड़ लगाने का आह्वान झारखंड प्रांत के लिए हास्यास्पद बात हैं. आज भी टाइगर प्रोजेक्ट के नाम से लाखों लाख वृक्ष काटने की बड़ी-बड़ी योजनाएं चल रही हैं. जल, जंगल जमीन के अधिकारों से वंचित करने की साजिश की जा रही हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड आंदोलनकारी, झारखंडी अपने ही घर में परदेसी बन गये हैं. सरकार जीते जी आंदोलनकारियों को राजकीय मान-सम्मान व सम्मान पेंशन नियोजन देकर अपनी दायित्वों का निर्वाह करें. सभा को अंथन लकड़ा, सुबोध कुमार लकड़ा, सुजीत कुमार राम, विजय तिर्की, बेरनार्ड मिंज, अल्बर्ट तिग्गा, सोमारी देवी, नीरु देवी, सुशील लकड़ा, पुनीत उरांव, प्लासियुस टोप्पो, जगदीश लकड़ा, ईश्वर टोप्पो, आलोक लकड़ा, किशोर गिद्ध, प्रकाश खलखो, सुजाता टोप्पो, निर्मल, अगस्टीन ने संबोधित किया. सभा के अंत में पर्यावरण दिवस पर झारखंड आंदोलन के अमर पुरोधा सीपी तिर्की, अजीत तिग्गा व सोबरन अंसारी की याद में पौधरोपण किया गया.
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