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गुमला में फिर नहीं लगा पशु मेला, लौट गयी आवंटित राशि, सात लाख रुपये हुआ था प्राप्त

किसान व पशुपालक गाय, बैल, भैंस, बछिया आदि खरीदने के लिए दूसरे जिलों की दौड़ लगाते हैं. जिससे किसानों व पशुपालकों को अधिक आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. दूसरे जिले से गाय, बैल, भैंस, बछिया आदि खरीदने के बाद छोटे चारपहिया वाहनों से जिले में अपने घर तक लाने में भी काफी पैसा लगाना पड़ रहा है. हालांकि किसान व पशुपालक स्थानीय स्तर पर भी गाय, बैल, भैंस, बछिया आदि की खरीदते हैं.

गुमला : गुमला जिला में पशु मेला पर ग्रहण लगा हुआ है. विगत कई वर्षों में यहां पशु मेला नहीं लगा है. जिसका खामियाजा जिले के किसानों एवं पशुपालकों को भुगतना पड़ रहा है. जिला गव्य विकास विभाग गुमला की माने तो विगत लगभग एक दशक से जिले में पशु मेला नहीं लगा है. जिले में पशु मेला नहीं लगने के कारण जिले के किसानों व पशुपालकों को गाय, बैल, भैंस, बछिया आदि खरीदने के लिए सिमडेगा, लोहरदगा, रांची सहित अन्य दूसरे जिलों पर आश्रित रहना पड़ रहा है.

किसान व पशुपालक गाय, बैल, भैंस, बछिया आदि खरीदने के लिए दूसरे जिलों की दौड़ लगाते हैं. जिससे किसानों व पशुपालकों को अधिक आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. दूसरे जिले से गाय, बैल, भैंस, बछिया आदि खरीदने के बाद छोटे चारपहिया वाहनों से जिले में अपने घर तक लाने में भी काफी पैसा लगाना पड़ रहा है. हालांकि किसान व पशुपालक स्थानीय स्तर पर भी गाय, बैल, भैंस, बछिया आदि की खरीदते हैं.

परंतु स्थानीय स्तर पर खरीदारी करने पर किसानों व पशुपालकों को विक्रेताओं की मनमानी का शिकार होना पड़ता है. विक्रेता गाय, बैल, भैंस, बछिया आदि का अधिक मूल्य लेते हैं. जिस कारण अधिकांश किसान व पशुपालक दूसरे जिले से गाय, बैल, भैंस, बछिया आदि की खरीदारी करते हैं. वहीं पशु मेला नहीं लगने के कारण पशुपालकों को पशु पालन के प्रति प्रोत्साहन भी नहीं मिल पा रहा है. पशु मेला में पशुपालक अपनी अच्छी नस्ल की गाय, बैल, भैंस आदि का प्रदर्शनी लगाते हैं.

बेहतर प्रदर्शन लगाने वालों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता है. जिससे पशुपालकों में पशुपालन के प्रति रूचि बढ़ती है. परंतु पशु मेला नहीं लगने के कारण पशुपालकों में निराशा है. इसके अतिरिक्त पशु मेला में जिला प्रशासन के विभिन्न विभागों एवं बैंकों द्वारा भी स्टॉल लगा कर किसानों व पशुपालकों को जन कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी जाती है. ताकि किसान व पशुपालक योजनाओं की जानकारी लेने के बाद योजना का लाभ उठा सके. परंतु पशु मेला नहीं लगने के कारण किसानों व पशुपालकों को उक्त जानकारी भी नहीं मिल पा रही है.

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