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मसरिया डैम की सफलता के बाद धनसिंह जलाशय में होगा महाझिंगा का पालन

पायलट प्रोजेक्ट से जनजातीय समुदाय की बदली किस्मत, अब बसिया प्रखंड के मछली पालक किसानों को मिलेगा लाभ

गुमला. गुमला जिले के घाघरा प्रखंड स्थित मसरिया डैम में महाझिंगा पालन ने जनजातीय समुदाय के मछली पालक किसानों की आजीविका में उल्लेखनीय सुधार किया है. इस सफलता को देखते हुए मत्स्य विभाग ने अब बसिया प्रखंड के धनसिंह जलाशय में भी महाझिंगा पालन शुरू करने की योजना तैयार की है, जिसकी तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं. मसरिया डैम में वर्ष 2023-24 में पायलट प्रोजेक्ट के तहत एससी-एसटी वर्ग के मछली पालक किसानों के माध्यम से महाझिंगा पालन की शुरुआत की गयी थी. पहले चरण में करीब दो लाख महाझिंगा बीज डाले गये, जिससे लगभग 16,640 किलोग्राम महाझिंगा का उत्पादन हुआ और करीब 83 लाख रुपये का व्यवसाय हुआ. इसके बाद दो और सत्रों में भी लगभग इतनी ही मात्रा में बीज डाले गये, जिससे समान स्तर का उत्पादन व व्यवसाय हुआ. तीन सत्रों में कुल 49,920 किलोग्राम महाझिंगा का उत्पादन हुआ, जिससे लगभग 2.30 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ. इस अभूतपूर्व सफलता के बाद महाझिंगा पालन को जिले के अन्य जलाशयों में विस्तार देने का निर्णय लिया गया है. इसके तहत बसिया प्रखंड के धनसिंह जलाशय का चयन किया गया है. इस प्रोजेक्ट में मत्स्य विभाग को केंद्रीय अंतरस्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (आइसीएआर), बैरकपुर, कोलकाता का तकनीकी सहयोग मिला. संस्थान के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ एके दास ने गुमला में पहली बार मछली पालक किसानों को महाझिंगा पालन का प्रशिक्षण दिया. कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने मसरिया डैम का दौरा कर महाझिंगा पालन का निरीक्षण किया और इसे स्थायी प्रबंधन व मजबूत सामुदायिक भागीदारी के साथ आगे बढ़ाने के निर्देश दिये. महाझिंगा पोषण की दृष्टि से अत्यंत लाभकारी है और कुपोषण समेत कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में सहायक है. बाजार में इसकी मांग अधिक है और यह 500 से 600 रुपये प्रति किलो की दर से बिकती है, जिससे मछली पालक किसानों को बेहतर आमदनी हो रही है. मसरिया डैम में पहली बार राउंड फ्लोटिंग पेन तकनीक का प्रयोग कर महाझिंगा पालन किया गया, जो भारत में इस तकनीक की एक बड़ी सफलता मानी जा रही है. यह तकनीक महाझिंगा को मुरेल, बोआरी और थाई मगर जैसी शिकारी मछलियों से सुरक्षित रखती है. धनसिंह जलाशय में भी इसी तकनीक से महाझिंगा पालन किया जायेगा.

जिला मत्स्य पदाधिकारी ने कहा

जिला मत्स्य पदाधिकारी कुसुमलता ने कहा कि मसरिया डैम का पायलट प्रोजेक्ट पूरी तरह सफल रहा है. अब इसे विस्तार देकर जिले के अन्य क्षेत्रों में भी मछली पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मत्स्य विभाग किसानों की आर्थिक उन्नति के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और आने वाले समय में ऐसे और भी प्रोजेक्ट शुरू किये जायेंगे.

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Prabhat Khabar News Desk
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