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ईश्वर पर विश्वास का प्रतीक है प्रथम परम प्रसाद: फादर एम्मानुएल

ख्रीस्त विश्वासियों ने उजला रविवार पर्व मनाया

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गुमला. ख्रीस्त विश्वासियों ने रविवार को उजला रविवार पर्व मनाया. संत पात्रिक महागिरजाघर स्थित मैदान में पावन ख्रीस्तीयाग हुआ, जहां मुख्य अनुष्ठाता गुमला धर्मप्रांत के विकर जनरल फादर एम्मानुएल, सह अनुष्ठाता फादर जेफ्रेनियुस तिर्की व फादर जेरोम एक्का ने अनुष्ठान कराया. अनुष्ठान के बीच सफेद वस्त्र धारण किये गुमला पल्ली के 219 बच्चे-बच्चियों ने प्रथम परम प्रसाद ग्रहण किया. मौके पर फादर एम्मानुएल कुजूर ने कहा कि प्रथम परम प्रसाद ईश्वर पर विश्वास का प्रतीक है. जिस तरह प्रेमी-प्रेमिका एक दूसरे को प्यार करते हैं. सदा एक-दूसरे की चिंता करते हैं और सदा एक साथ रहना चाहते हैं. वैसे ईश्वर मानव जाति से प्यार करते हैं. मानवों के प्रति प्यार के कारण ईश्वर ने मानव रूप को भी अपनाया. जब मानवों ने ईश्वर से नाता तोड़ दिया, तब ईश्वर खुद मानव बन कर मानव को पुनः अपने साथ जोड़ने के लिए मानव बाल रूप में इस धरती पर जन्म लिए. यहां वे मानव प्रेम के खातिर क्रूस पर मर गये व वे दफनाये गये. फिर पुन: जी उठे. क्योंकि वे जानते थे कि मानव रूप में सभी लोगों के पास एक ही समय उपस्थित नहीं हो सकते थे. इसलिए उन्होंने सात संस्कारों को ठहराया. यीशु संस्कारों के माध्यम से मानव के पास उपस्थित होते हैं और अपना प्यार, मुक्ति व जीवन देते हैं. इन सातों संस्कारों में सबसे महत्वपूर्ण संस्कार आज का परम प्रसाद संस्कार है. यह सभी संस्कारों का केंद्र बिंदु है. यह संस्कार ठीक उसी तरह है, जिस तरह भौतिक शरीर के लिए भोजन की आवश्यकता होती है. जिस प्रकार भोजन के बिना मानव नहीं जी सकता है, उसी प्रकार परम प्रसाद संस्कार आत्मा का भोजन है. फादर एम्मानुएल ने कहा कि यीशु ख्रीस्त ने अपने चेलों से अनेकों बार कहा था कि मैं ही जीवन की रोटी हूं. जीवन का जल हूं. वहीं यीशु आज पहली बार इन परम प्रसाद लेने वाले बच्चे-बच्चियों के दिल में जीवन की रोटी और जीवन का मित्र बन कर आ रहे हैं. यीशु बच्चों से विशेष प्यार करते हैं. यीशु अपने जीवनकाल में हमेशा बच्चों से ही घिरे रहे. आज हम इन बच्चों के लिए प्रार्थना व आशीर्वाद दें, ताकि बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो. मौके पर फादर नीलम, फादर नवीन कुल्लू, फादर कुलदीप खलखो, फादर पौल केरकेट्टा, फादर मूनसन बिलुंग, फादर नबोर, फादर रंजीत, फादर जोर्ज, फादर सीप्रियन, फादर अगुस्टीन, सिस्टर मारिया स्वर्णलता कुजूर, सिस्टर हिरमिला, सिस्टर ललिता, सिस्टर मेरी डांग, सिस्टर अन्ना मेरी, सिस्टर एमेलदा सोरेन, सिस्टर निर्मला एक्का, सिस्टर अनुरंजना, सिस्टर मधुरिमा, सिस्टर शशि किंडो, सिस्टर अर्चना, सिस्टर शालिनी, सिस्टर मंगला, सिस्टर अजीता, सिस्टर निर्मला, सिस्टर माधुरी, सिस्टर फुलजेंसिया, धर्मप्रांतीय काथलिक सभा के सभापति सेत कुमार एक्का, महिला काथलिक सभा की सभानेत्री फ्लोरा मिंज, एरेनियुस मिंज, जयंती तिर्की, तेओफिल खलखो, आनंद प्रकाश एक्का, नोएल बालेश्वर खाखा, एरेनियुस खलखो, मंजू बेक, अजीत कुजूर, दिव्या सरिता मिंज, रोबर्ट टोप्पो, प्रेम एक्का, चंदन मिंज, अंधेरियस कुजूर, रोहित एक्का, आनंद प्रकाश कुजूर, हिलारूस लकड़ा, लीली कल्याणी, रजनी पुष्पा, पुष्पा लुगून समेत अन्य पुरोहित, धर्मबहनें व ख्रीस्त विश्वासी मौजूद थे.

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