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गुमला : अंधविश्वास की जकड़ में हैं गांव के लोग

गुमला में ओझागुणी के कारण बढ़ रहा अंधविश्वास डायन-बिसाही में बेकसूर लोगों की जान जा रही है एक साल में आठ लोग अंधविश्वास की बलि पर चढ़े अंधविश्वास के 20 से अधिक केस थाने में दर्ज हुए दुर्जय पासवान गुमला : गुमला जिले में सबसे ज्यादा अंधविश्वास है. इसका उदाहरण वर्ष 2016 में अंधविश्वास में […]

गुमला में ओझागुणी के कारण बढ़ रहा अंधविश्वास
डायन-बिसाही में बेकसूर लोगों की जान जा रही है
एक साल में आठ लोग अंधविश्वास की बलि पर चढ़े
अंधविश्वास के 20 से अधिक केस थाने में दर्ज हुए
दुर्जय पासवान
गुमला : गुमला जिले में सबसे ज्यादा अंधविश्वास है. इसका उदाहरण वर्ष 2016 में अंधविश्वास में घटी घटनाएं हैं. कुछ घटनाओं ने पूरे समाज को प्रभावित किया है. हैरत करने वाली घटना भी घटी है. गुमला की घटना ने सरकार तक को अंधविश्वास के खिलाफ सोचने पर मजबूर किया.
डीसी व एसपी के अलावा पूरा सिस्टम परेशान रहा, लेकिन अंधविश्वास की जो मोटी परत गुमला में जमी है, वह कम होती दिखायी नहीं दी.
आंजन गांव में एक वृद्ध महिला को नंगा कर उसकी पिटाई की गयी, फिर मैला खिलाया गया. धनगांव में सांप डंसने का खेल चला. पालकोट के बिलिंगबीरा में दंपती व मासूम की हत्या कर दी गयी. गुमला शहर से सटे सोसो गांव में मासूम बच्चों के सामने दंपती की हत्या कर दी गयी. महुगांव में वृद्ध का सिर मुड़ कर उसे गांव से निकाला गया. ऐसी कई घटनाएं गुमला में अंधविश्वास के कारण घट चुकी है. सबसे दुखद बात यह रही कि समाज के सामने अंधविश्वास का नंगा नाच होता रहा, लेकिन पढ़े-लिखे लोग मूक-दर्शक बने रहे.
गांवों में सबसे ज्यादा अंधविश्वास : जिस तेजी से गुमला जिला विकास के पथ पर बढ़ रहा है, आबादी बढ़ी है, पढ़े-लिखे लोगों की संख्या बढ़ी है. उसी तेजी से अंधविश्वास भी गुमला में बढ़ता दिख रहा है.
यही वजह है कि गुमला में सप्ताह या महीने में डायन-बिसाही के शक में एक-दो लोगों की हत्या हो रही है. फिलहाल जो घटनाएं घटी है, इससे गुमला जिला अंधविश्वास में जकड़ा हुआ नजर आ रहा है. सबसे ज्यादा अंधविश्वास गांवों में है. माना जा रहा है कि अगर जल्द अंधविश्वास के इस खेल को खत्म नहीं किया गया, तो गुमला में आये दिन हत्या होगी. वृद्ध महिला, पुरुषों का जीना दूभर होगा, क्योंकि गुमला में सबसे ज्यादा बेकसूर लोग ही अंधविश्वास की बलि चढ़ रहे हैं. अंधविश्वास को जड़ से खत्म करने के लिए जागरूकता के बीज बोने होंगे.
मिल कर पहल करने होगी
अंधविश्वास को खत्म करने के लिए स्वयं सेवी संस्थाओं को आगे आना होगा. गांव में काम में कर रही महिला समूहों को भी इसमें अहम भूमिका निभानी होगी. जनप्रतिनिधि भी इस मामले में रूचि दिखाते हुए लोगों को जागरूक करें, तभी गांवों से अंधविश्वास खत्म होगा, क्योंकि प्रशासन के भरोसे अंधविश्वास को खत्म नहीं किया जा सकता है.
सरकार ने अभियान चलाया
गुमला में अंधविश्वास के फैलते जड़ को खत्म करने के लिए समाज कल्याण विभाग द्वारा अंधविश्वास के खिलाफ गांव गांव में जागरूकता अभियान चलाया गया. जरूरत के अनुसार प्रशासनिक अधिकारी भी गांव जाकर लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया, लेकिन इसका असर नहीं पड़ा. प्रशासन का मानना है कि गांव की महिलाएं जिस दिन समझ जायेंगी कि अंधविश्वास मन का भ्रम है, उस दिन से अंधविश्वास खत्म हो जायेगा.
केस एक : पालकोट थाना क्षेत्र के बिलिंगबीरा में डायन-बिसाही मामले में पति, पत्नी व मासूम बेटे की हत्या कर दी गयी. इतना ही नहीं, शव को जमीन में गाड़ दिया. पुलिस ने दो महीने बाद शव को बरामद किया था.
केस दो : गुमला की कतरी पंचायत में वृद्ध महिला की हत्या कर उसके शव को गाड़ दिया गया. अभी तक शव नहीं मिला है. बेटे ने अज्ञात लोगों पर केस किया है. पुलिस शव बरामद करने में नाकाम रही है.
केस तीन : गुमला शहर से सटे सोसो महलीटोली में डायन-बिसाही मामले में वृद्ध दंपती की उसके ही तीन बच्चों के सामने हत्या कर दी गयी. इस हत्याकांड का उदभेदन हो चुका है, परंतु अभी भी इस गांव में अंधविश्वास है.
केस चार : गुमला के धनगांव में अंधविश्वास में फंसे लोगों ने सांप काटने के भ्रम पर ओझा से झाड़ फूंक कराया. कांसा की थाली पीठ में चिपकने के बाद जहर कम होने की बात कही गयी.
केस पांच : घाघरा के बेलागड़ा गांव में लोग इस प्रकार अंधविश्वासी हो गये हैं कि यहां वृद्ध को गांव से निकाल दिया गया था. महुगांव में भी वृद्ध महिला को निकाला गया. यहां डायन-बिसाही के सबसे ज्यादा मामले हैं.
केस छह : गुमला के आंजन गांव में एक वृद्ध महिला को पहले पीटा गया. उसे नंगा करके रात भर खेत में रखा गया. इसके बाद जबरन उसे मैला खिलाया गया. पुलिस हरकत में आयी, तो आरोपी गांव से फरार हैं.

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