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यादों में सिमटीं बैलगाड़ियां

डुमरी(गुमला) : दुनिया की चकाचौंध में गुम हो गयी हैं बैलगाड़ियां. 10 वर्ष पूर्व गांव की सड़कों पर टनटन घंटियां बजाते हुए चलती थी बैलगाड़ियां. इस आवाज को सुन कर लोग आनंदित हो उठते थे. लेकिन वर्तमान समय में वाहनों की आवाजाही के दौर में बैलगाड़ियां गुम सी होती जा रही हैं. डुमरी प्रखंड अतिउग्रवाद […]

डुमरी(गुमला) : दुनिया की चकाचौंध में गुम हो गयी हैं बैलगाड़ियां. 10 वर्ष पूर्व गांव की सड़कों पर टनटन घंटियां बजाते हुए चलती थी बैलगाड़ियां. इस आवाज को सुन कर लोग आनंदित हो उठते थे. लेकिन वर्तमान समय में वाहनों की आवाजाही के दौर में बैलगाड़ियां गुम सी होती जा रही हैं.

डुमरी प्रखंड अतिउग्रवाद प्रभावित क्षेत्र है. यह सुदूरवर्ती क्षेत्र भी है. इसके बाद भी इस क्षेत्र में भी बैलगाड़ियों का दिखना आश्चर्यजनक बात हो गयी है.बच्चे व बुजुर्ग बैलगाड़ियों को देख कर अपने समय के बीते पल को याद कर झूम उठते हैं. लेकिन अब ऐसी स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों में भी नहीं रह गयी है.

गाड़ियों की गड़गड़ाहट से पूरा ग्रामीण क्षेत्र का वातावरण दूषित हो जा रहा है. उल्लेखनीय है कि एक दशक पूर्व तक बैलगाड़ियों से ही ग्रामीण अपने सामान को दूर-दूर तक ले जाया करते थे. बैलों के गले में घंटियों की आवाज सुन कर लोग झूम उठते थे. लेकिन आज के समय में यह एक आश्चर्यजनक व दुर्लभ चीज बन कर रह गयी है.

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