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मरे लोगों को भी घर का आवंटन
योजना में गड़बड़ी. इंदिरा आवास के पैसे लूट कर मालमाल हुआ जनसेवक घाघरा प्रखंड के अरंगी पंचायत में इंदिरा आवास निर्माण में गड़बड़ी की गयी है़ बिना घर बनाये जनसेवक ने लाखों रुपये डकार लिये़ दुर्जय पासवान गुमला : घाघरा प्रखंड से करीब 45 किमी दूर अरंगी पंचायत में इंदिरा आवास निर्माण में भारी गड़बड़ी […]
योजना में गड़बड़ी. इंदिरा आवास के पैसे लूट कर मालमाल हुआ जनसेवक
घाघरा प्रखंड के अरंगी पंचायत में इंदिरा आवास निर्माण में गड़बड़ी की गयी है़ बिना घर बनाये जनसेवक ने लाखों रुपये डकार लिये़
दुर्जय पासवान
गुमला : घाघरा प्रखंड से करीब 45 किमी दूर अरंगी पंचायत में इंदिरा आवास निर्माण में भारी गड़बड़ी होने का मामला सामने आया है़ घर बना नहीं और पैसे की निकासी कर ली गयी़ मृत व गायब लोगों के नाम से भी इंदिरा आवास स्वीकृत कर पैसे निकाल लिये गये़ ग्रामीणों के अनुसार, यह सब कारनामा अरंगी के जनसेवक संदीप टेटे का है, जिसने गरीब लाभुकों को ठगा है.
लाभुकों से पैसा लेकर घर बनाने का ठेका ले लिया, लेकिन अभी तक घर नहीं बनवाया है. जनसेवक द्वारा घर नहीं बनाने के बाद लाभुकों ने इसकी लिखित शिकायत प्रभात खबर से की थी. ग्रामीणों की शिकायत पर अरंगी पंचायत जाकर अपने स्तर से जांच की गयी. जांच में स्पष्ट है, जनसेवक खुद ठेकेदार बन गया. लाभुकों से पैसा लेने के बाद घर नहीं बनाया.
लाभुकों ने कहा
वर्ष 2014 व 2015 की योजना थी. एक घर 75 हजार रुपये की लागत से बनना था. इसमें प्रथम किस्त में 18 व दूसरे किस्त में 45 हजार रुपये की निकासी बैंक से हुई, लेकिन जनसेवक ने सभी लाभुकों से यह कह कर पैसा ले लिया कि मैं घर बनवा दूंगा. इसके एवज में जनसेवक ने किसी लाभुक को तीन तो किसी को पांच हजार रुपये हड़िया-दारू पीने के लिए दिया और शेष पैसा खुद डकार लिया.
जांच पड़ताल में थे साथ
घाघरा के समाज सेवी राम साहू, समाज सेवी विजय उरांव, उपमुखिया फोदो एक्का व ग्राम प्रधान इंदिरा आवास के निर्माण में हुई गड़बड़ी की जांच पड़ताल के दौरान साथ में थे. इन लोगों ने प्रत्येक घर में जाकर पूछताछ की. इसके बाद मामले का खुलासा हुआ. गांव के लोगों ने कहा : घर नहीं बना, तो डीसी कार्यालय के समक्ष धरना देंगे, क्योंकि ब्लॉक के अधिकारी व मुखिया जनसेवक से मिले हुए हैं. ये लोग जनसेवक पर कोई कार्रवाई नहीं करेंगे, इसलिए डीसी के पास धरना देंगे.
25 में एक घर पूरा नहीं बना
अरंगी पंचायत में वर्ष 2014-2015 में 25 घर बनना है, लेकिन इसमें सभी घर अधूरे हैं. आधे से अधिक घर में तो हाथ भी नहीं लगा है. चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें वैसे लाभुकों का चयन किया गया है, जो पढ़े लिखे नहीं हैं. 25 घर की लागत 18 लाख 75 हजार रुपये होता है. ग्रामीणों के अनुसार, इसमें सभी पैसा जनसेवक ने अपने पास रख लिया है. कुछ लाभुकों के कहने पर उन्हें तीन से पांच हजार रुपये दिया है, ताकि लाभुक बाद में मुंह न खोले.
गरीबों को छोड़ दिया
अंबाटोली के जगन्नाथ महली, प्रभाग महली, खंभिया का जतरू महली, भरत महली, पुरण महली सहित गांव के कई ऐसे लोग हैं, जो गरीब हैं और टूटे घर में रहते हैं, लेकिन इन लोगों का इंदिरा आवास का पैसा नहीं मिलने के कारण जनसेवक ने पास नहीं किया.
केस नंबर एक
अंबाटोली की रूकमणि देवी है. वह 10 वर्ष से घाघरा में रह रही है़ उसके नाम से इंदिरा आवास स्वीकृत होकर पैसा भी निकल गया. रेकर्ड में घर फाइनल दिखाया गया है, जबकि हकीकत है, घर बना नहीं. रूकमणि के पुराने घर में वर्षों से ताला लगा है.
केस नंबर दो
एतवारी देवी की मृत्यु एक साल पहले हो गयी है, लेकिन उसके नाम से इंदिरा आवास स्वीकृत हो गया है. पूरे पैसे की भी निकासी हो गयी. जब मामले की जांच हुई, तो जनसेवक ने मृतका की बहू फुलो के नाम से योजना बदल दिया और दो हजार ईंट भी गिरवाया है. फुलो ने कहा : जनसेवक ने ईंट गिरवा दिया.
केस नंबर तीन
अंबाटोली की खोपा देवी है, पति स्वर्गीय बुढृ झोरा हैं. इसका इंदिरा आवास स्वीकृत हुआ था. लेकिन दीवार खड़ा कर छोड़ दिया गया. अंत में खोपा देवी ने चदरा का एसबेस्टस सीट लगाया़ हवा से यह उखड़ न जाये, इसलिए चदरा को पत्थर से दबा दिया है. इसका पैसा जनसेवक खा गया.
केस नंबर चार
खंभिया गांव की सीता देवी है. उसने बताया कि 63 हजार रुपये जनसेवक ले लिया. उसने बोला घर बना देंगे. एक वर्ष से घर अधूरा था, फिर अचानक जनसेवक गांव आया और उसने अधूरे घर की छत पर एसबेस्टस चढ़वा दिया, लेकिन अभी भी दरवाजा व खिड़की नहीं लगी है.
केस नंबर पांच
खंभिया गांव की घुरनी झोरा है. पति डिबला झोरा है. घुरनी ने कहा कि 63 हजार रुपये जनसेवक ले लिया. बोला घर बनवा देंगे, लेकिन तीन फीट दीवार खड़ी कर छोड़ दिया. घर बनाने के लिए कहने पर नहीं बनवा रहा है़ पूरा पैसा वह डकार लिया. मुझे पांच हजार दिया था और बोला था चुप रहना है.
केस नंबर छह
कचापारा गांव के धनराज तुरी ने बताया कि मेरा घर अधूरा है, लेकिन दो दिन पहले जनसेवक आया. उसने कहा कि कोई जांच करने आये, तो बोलना मैं घर बनवा रहा हूं और एक हजार ईंट गिरवा दिया. मेरा पूरा पैसा जनसेवक के पास है. बैंक से निकालते ही पैसा ले लिया था. कलींद्र तुरी की भी दीवार खड़ी है. वह भी मिट्टी का.
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