– ओमप्रकाश चौरसिया –
गुमला : फादर पीपी वनफल अब नहीं रहे. इनकी निधन की खबर से खेल जगत सहित मिशनरी संस्थाओं व आम लोगों के बीच शोक की लहर दौड़ गयी. वे 85 वर्ष के थे. उनका जन्म बेल्जियम के लुभेन गांव में 11 फरवरी 1929 को हुआ था. वे 1952 ई में गुमला आये और यहीं के होकर रह गये.
इनका निधन रांची के ऑर्कि ड अस्पताल में मंगलवार ( 3 सितंबर )की सुबह आठ बजकर 45 मिनट में हुआ. बताया जाता है कि उनका लीवर में इंफेंक्शन हो गया था. गरीब परिवार व स्कूली बच्चों के लिए वे मसीहा थे. लगभग 150 गरीब परिवार को वे सहयोग करते थे. 400स्कूली बच्चों को प्रति साल छात्रवृति देते थे.
जिससे स्कूली बच्चों की पढ़ाई होती थी. गुमला को खेल नगरी के रुप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान रहा था.उन्होंने हॉकी के कई खिलाड़ियों को ऊंचाइयों तक पहुंचाया. इनमें हॉकी टीम भारत के तत्कालीन कप्तान विमल लकड़ा शामिल हैं.
गुमला आदिवासी बहुल व पिछड़ा क्षेत्र है. यहां संसाधनों का अभाव है. इसे देखते हुए फादर पीपी वनफल ने खेल को बढ़ावा देने के लिए संत क्षसियुस हाई स्कूल गुमला में ‘चक्रव्यूह’ की शुरुआत की थी. जिसमें झारखंड राज्य के विभिन्न जिलों के खिलाड़ी भाग लेते हैं.
फादर वनफल ने अनौपचारिक शिक्षा को बढ़ावा दिया. उन्होंने गुमला के पिछड़ेपन व गरीबी को दूर करने के लिए एराउज संस्था की स्थापना की,जो गुमला जैसे गरीब जिला के लिए हजारों लोगों को जीविकापाजर्न का साधन बना हुआ है.
संस्था के माध्यम से व्यस्क शिक्षा, ग्रामीण स्वास्थ्य, बालवाड़ी केंद्र, इकॉनोमिक, एग्रीकल्चर, ऐरीटेशन, फसल पौधारोपण, उन्नत नस्ल के सूअर पालन, बकरी पालन, रेश्म उत्पादन, वाटर प्रोटेक्शन आदि को उन्होंने रोजगार का माध्यम बनाया. इससे हजारों लोग जुटे हुए हैं. 1974 ई में वे संत क्षसियुस स्कूल के प्रधानाध्यापक बनें. उन्होंने मेहनत के बल पर स्कूल का मैट्रिक का परिणाम को ऊंचाइयों तक ले गये. वे एराउज के सभागार में आदिवासी संग्रहालय की स्थापना कर एक महत्वपूर्ण कार्य किये. जहां कई ऐतिहासिक स्रोतों को सुरक्षित रखा गया है.
आदिवासी संस्कृति से जुड़ी इतिहास को चित्रकारी व मूर्ति के माध्यम से जीवित रूप में प्रस्तुत किया गया है. किसानों के खेत में पानी पहुंचे, इसके लिए आठ चेकडैम का निर्माण कराया है. इसमें किसी प्रकार का सरकारी सहयोग नहीं लिया गया है. फादर वनफल गुमला में 1956 ई को आये. दो वर्ष तक अपोस्तोलिक स्कूल के सहायक निदेशक रहे. पुन: 1965 ई को अपोस्तोलिक स्कूल का निदेशक बनाया गया.