गुमला :नक्सली संगठन भाकपा माओवादी ने फरमान जारी कर बिशुनपुर के हर गांव से पांच-पांच बच्च मांगा है. बाल दस्ता बनाने के लिए प्रखंड के सात गांवों करचा, कुमाड़ी, निरासी, हरैया, बोरहा, टेमर करचा व हपाग से पिछले छह माह में 35 बच्चों को जबरन ले जाया गया है. 15 दिन पहले नकुल यादव का दस्ता करचा गांव आया था. वहां से नक्सली पांच लड़कियों को साथ ले गये. इनकी उम्र 10 से 13 वर्ष के बीच है. परिजनों ने विरोध किया, तो नक्सलियों ने उन्हें पीटा. धमकी दी कि बच्चे नहीं देने पर अंजाम बुरा होगा.
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झारखंड के गुमला से 35 बच्चे उठा ले गये नक्सली
गुमला में माओवादियों का फरमान : हर गांव से मांगे पांच बच्चे दुजर्य पासवान गुमला :नक्सली संगठन भाकपा माओवादी ने फरमान जारी कर बिशुनपुर के हर गांव से पांच-पांच बच्च मांगा है. बाल दस्ता बनाने के लिए प्रखंड के सात गांवों करचा, कुमाड़ी, निरासी, हरैया, बोरहा, टेमर करचा व हपाग से पिछले छह माह में […]
गुमला में माओवादियों का फरमान : हर गांव से मांगे पांच बच्चे
दुजर्य पासवान
खेती-बारी व जंगल के उत्पाद का इस्तेमाल करने पर रोक लगा देंगे. सड़कों पर नहीं चलने देंगे. पुलिस के पास जाने पर मौत के घाट उतार दिया जायेगा. भय से गांव के लोग चुप हैं. पुलिस को इसकी जानकारी है, पर, परिजनों द्वारा शिकायत नहीं आने के कारण पुलिस कुछ नहीं कर रही है.
बच्चों को तुरंत थमा देते हैं बंदूक : जानकारी के अनुसार, माओवादी नकुल यादव की ओर से बाल दस्ता बनाया जा रहा है. बिशुनपुर से 125 बच्चों को दस्ता में शामिल करने की योजना है. 20 दिन पहले भी बोरहा व कुमाड़ी से पांच-पांच लड़कों को ले जाया गया था. नक्सली बच्चों को ले जाने के बाद उन्हें तुरंत बंदूक थमा देते हैं. कई बच्चे ऐसे होते हैं, जिनकी लंबाई बंदूक से भी कम होती है. बच्चे किसी प्रकार बंदूक को टांग कर चलते हैं. प्रशिक्षण के तौर पर शुरुआत में तीन बातें सिखायी जाती है. पहला बंदूक टांग कर चलना, फायरिंग करना व क्रांतिकारी गीत गाना. जानकारी के मुताबिक, नकुल का दस्ता अभी भी कुमाड़ी गांव के पास ही है.
गांव की भौगोलिक बनावट नक्सलियों को सुरक्षित रखता है. गुफाओं में नक्सली आसानी से छिप सकते हैं. पुलिस के लिए यह इलाका अभेद्य सा है. हालांकि पुलिस कई बार इस इलाके में घुसी है. लेकिन अक्सर खाली हाथ लौटी है. हाल में मुठभेड़ भी हुई थी, लेकिन पुलिस को ही पीछे हटना पड़ा था.
पिछले साल भी ले गये थे 40 बच्चे
वर्ष 2014 के जून-जुलाई में भी नक्सली गुमला व लोहरदगा जिलों से 40 बच्चे ले गये थे. बच्च नहीं देने पर तीन ग्रामीणों की हत्या कर दी थी. 50 से अधिक गांवों पर प्रतिबंध लगा दिया था. पुलिस ने चार दिन तक नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाया था. लेकिन न तो नक्सलियों को कोई नुकसान हुआ था और न ही पुलिस बच्चों को मुक्त करा पायी थी.
‘‘मैंने खुद गांव जाकर ग्रामीणों से बात की है. लेकिन वे डर से कोई कुछ बताने को तैयार नहीं हैं. पुलिस गोपनीय तरीके से काम कर रही है. एक्शन प्लान के तहत काम हो रहा है.
गौरीशंकर मिंज, डीसी, गुमला
‘‘नक्सली कुछ बच्चों को साथ ले गये हैं. लेकिन परिजनों द्वारा किसी प्रकार की शिकायत नहीं की गयी है. पुलिस अपने स्तर से कार्रवाई कर रही है. बनालात में पुलिस पिकेट खोला गया है. इससे नक्सली गतिविधि पर अंकुश लगेगा.
भीमसेन टुटी, एसपी, गुमला
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