गुमला : गुमला में एक सरकारी कर्मचारी (अनुसेवक) ने गलत तरीके से केशर-ए-हिंद व गैर मजरूआ जमीन को अपने नाम से बंदोबस्त कर लिया था, लेकिन 62 वर्ष बाद दो एकड़ 28 डिसमिल जमीन की अवैध बंदोबस्त को न्यायालय ने रद्द कर दिया है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद गुमला प्रशासन अवैध बंदोबस्त जमीन को पंजी-टू से भी विलोपित कर दिया है.
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62 वर्ष बाद डीसी ने अवैध बंदोबस्ती की रद्द
गुमला : गुमला में एक सरकारी कर्मचारी (अनुसेवक) ने गलत तरीके से केशर-ए-हिंद व गैर मजरूआ जमीन को अपने नाम से बंदोबस्त कर लिया था, लेकिन 62 वर्ष बाद दो एकड़ 28 डिसमिल जमीन की अवैध बंदोबस्त को न्यायालय ने रद्द कर दिया है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद गुमला प्रशासन अवैध बंदोबस्त जमीन को […]
गुमला डीसी ने उक्त जमीन को अब सरकारी काम में उपयोग लाने का आदेश दिया है. डीसी शशि रंजन ने कहा है कि उक्त जमीन पर गुमला प्रखंड कार्यालय का भवन बनाने का आदेश दिया गया है, जिससे अब कोई व्यक्ति दोबारा उक्त केशर-ए-हिंद की जमीन पर अवैध कब्जा न कर सके.
जानकारी के अनुसार, वर्ष 1958 से लेकर 1962 तक गुमला शहर के करमटोली स्थित खाता संख्या-75, प्लॉट संख्या-626, 110, 111 व 625 (रकबा क्रमश: दो एकड़, तीन डिसमिल, पांच डिसमिल व 20 डिसमिल) को गुमला के अनुसेवक जकारिया उरांव (अब स्वर्गीय) ने अपने नाम कर लिया था.
जिसकी बंदोबस्ती वाद संख्या- 32आर8/1961-62, बंदोबस्ती वाद संख्या- 25आर8/1958-59 व बंदोबस्ती वाद संख्या- 26आर8/1958-59 है. कोर्ट में केस चलने के बाद गुमला डीसी ने उक्त तीनों बंदोबस्ती वाद संख्या को निरस्त कर दिया गया है. साथ ही गुमला के अंचल अधिकारी (सीओ) को निर्देश दिया गया है कि अवैध बंदोबस्त जमीन को पंजी-टू से विलोपित करते हुए उस जमीन को सरकारी प्रयोजन में उपयोग में लाया जाये.
इस प्रकार मामले का खुलासा हुआ : गुमला शहर के करमटोली मुहल्ले में चार प्लॉट में केशर-ए-हिंद व गैर मजरूआ जमीन है, जो करीब दो एकड़ 28 डिसमिल है, परंतु उक्त जमीन पर किसी ने अवैध कब्जा कर रखा है. जब इसकी जानकारी अपर समाहर्ता (एसी) को हुई, तो प्रशासन ने उक्त जमीन को कब्जा मुक्त करने का प्रयास किया. परंतु गुमला में अनुसेवक रह चुके स्वर्गीय जकारिया उरांव के परिवार के लोगों ने जमीन को कब्जा से मुक्त करने से इंकार कर दिया.
तब यह मामला न्यायालय चला गया. जकारिया उरांव बनाम उपायुक्त गुमला के बीच उक्त जमीन को लेकर केस चला. केस में गुमला प्रशासन की जीत हुई है. इसके बाद 2019 में उक्त जमीन की अवैध बंदोबस्ती को कोर्ट ने रद्द कर दिया. इसके बाद गुमला प्रशासन ने जमीन को अपने कब्जे में ले लिया है.
गुमला डीसी शशि रंजन ने कहा है कि गुमला में अनुसेवक के पद पर कार्यरत जकारिया उरांव ने गलत तरीके से उक्त जमीन को अपने नाम से बंदोबस्ती करा ली थी. जब जकारिया का निधन हो गया, तो उनके परिवार के लोगों का उक्त जमीन पर कब्जा था. कोर्ट में केस चलने के बाद प्रशासन की जीत हुई है. लंबे समय के बाद उक्त जमीन पर अब प्रशासन का कब्जा है.
हवाई अड्डा की घेराबंदी की जायेगी : एक अन्य खबर के अनुसार, गुमला शहर से चार किमी दूर स्थित करमडीपा हवाई अड्डा की घेराबंदी होगी. इसके लिए गुमला प्रशासन द्वारा प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. हवाई अड्डा की घेराबंदी के अलावा वहां सेफ हाउस का भी निर्माण किया जायेगा. जहां जरूरत पड़ने पर पायलट ठहर सकते हैं.
इसके अलावा वीआइपी के भी रुकने की व्यवस्था हवाई अड्डा में ही की जायेगी, ताकि हेलीकॉप्टर उतरने के बाद यहां ठहरने व रूकने की समस्या नहीं हो. गुमला डीसी शशि रंजन ने कहा है कि करमडीपा हवाई अड्डा की घेराबंदी की जायेगी. हेलीपैड की देखरेख के लिए वहां गार्ड भी रखा जायेगा. साथ ही सेफ हाउस का भी निर्माण किया जायेगा. हवाई अड्डा की घेराबंदी व सेफ हाउस का निर्माण भवन प्रमंडल गुमला द्वारा कराया जायेगा.
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