गुमला : पालकोट प्रखंड को अब तक पर्यटन स्थल का दर्जा प्राप्त नहीं हुआ है, जबकि इस क्षेत्र की जनता लंबे समय से पालकोट को पर्यटन स्थल बनाने की मांग रहे हैं. लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव, यहां जो भी नेता चुनाव लड़ते हैं, पर्यटन स्थल का दर्जा दिलाने का वादा करते हैं, परंतु चुनाव खत्म होते ही नेता अपना वादा भूल जाते हैं.
इसबार भी पालकोट प्रखंड, जिसका प्राचीन नाम पंपापुर है, इसे धार्मिक के अलावा पर्यटन स्थल का दर्जा देने की मांग उठी है. पालकोट पौराणिक, धार्मिक व ऐतिहासिक धरोहरों का जीता जागता उदाहरण है. यहां प्राचीन ऋष्यमुख पर्वत है, जो आज भी यह साक्षात है. उमड़ा गांव में एक पहाड़ है, जिसका संबंध प्राचीन किश्किंधा से है. यहां मलमली गुफा है, जहां राजा बलि के डर से सुग्रीव छिप कर रहते थे. यह गुफा आज भी रामायण युग की कहानी बयां करती है.
वर्तमान में गुफा काफी संकरी हो गयी है, परंतु आज भी यह सुग्रीव गुफा के नाम से विश्व प्रसिद्ध है. यहां कई प्राचीन धरोहर, रामायण युग के अवशेष हैं. गुमला व सिमडेगा मार्ग में पड़ने के कारण यह इलाका बिहार, ओड़िशा, छत्तीसगढ़, बंगाल व झारखंड राज्य का प्रमुख ऐतिहासिक स्थल है. नागवंशी राजाओं का भी यह गढ़ रहा है. इसके प्रमाण खंडहरनुमा भवन व अवशेष हैं. नववर्ष में यहां घूमना मन को रोमांचित करता है.
पालकोट में मां दशभुजी महारानी मंदिर, मां पंपा भवानी पर्वत, बाबा बूढ़ा महादेव मंदिर, बाघलता भवानी, बनजारिन देवी, बेंगपाट, शीतलपुर, मलमलपुर, पवित्र निर्झर, घोड़लत्ता, हनुमान मंडा, केवड़ा लत्ता, गोपाल साईं मंडा, नवरत्न मंडा, गोबरसिल्ली, राकस टंगरा, मड़वालत्ता, मुनीडेरा, राकस टुकू, पंपा सरोवर, सुग्रीव टुकू, शबरी गुफा, लालगढ़, शेष नाग, योगी टोंगरी, मंतगमुनी का शंख, तरंगन गढ़ा, दलदली पोखर, त्रिवेणी देवराहा बाबा, कौरव पांडव पहाड़, देवगांव व सैंकड़ों काजू के पेड़ हैं, लेकिन नेताओं की बेरुखी के कारण इतने सुंदर क्षेत्र को पहचान नहीं मिल पा रही है.