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किसानों के मुददे : गुमला जिले में करोड़ों रुपये के जलाशय, फिर भी खेत सूखे

दुर्जय पासवान, गुमला झारखंड राज्य गठन के बाद एक उम्मीद थी. विश्वास था. विकास होगा. बदलाव होगी. राज्य बनने के बाद चार विधायक गुमला की जनता बना चुकी है. अभी पांचवें विधायक का चुनाव करना है. परंतु आज भी गुमला के किसान सुविधा को तरस रहे हैं. अन्नदाता कहे जाने वाले किसानों के खेत तक […]

दुर्जय पासवान, गुमला

झारखंड राज्य गठन के बाद एक उम्मीद थी. विश्वास था. विकास होगा. बदलाव होगी. राज्य बनने के बाद चार विधायक गुमला की जनता बना चुकी है. अभी पांचवें विधायक का चुनाव करना है. परंतु आज भी गुमला के किसान सुविधा को तरस रहे हैं. अन्नदाता कहे जाने वाले किसानों के खेत तक पानी नहीं पहुंच रहा है, जबकि गुमला जिले में करोड़ों रुपये के जलाशय बने हैं. लेकिन जलाशय से निकलकर खेतों तक पानी नहीं पहुंच रहा है. जिस कारण खेत सूखे हैं.

सिंचाई के अभाव में खेती नहीं कर पाने वाले किसान दूसरे राज्य में पलायन कर रहे हैं. चिंता की बात यह भी है कि यहां न कारखाना है और न उद्योग धंधे. इसलिए भी किसान बड़े पैमाने पर पलायन कर गये हैं. सरकार व प्रशासन पलायन रोकने में फेल हैं. खेतों तक पानी पहुंचाने की योजना भी फ्लॉप साबित हो रही है. गुमला में कृषि क्रांति का सपना अधूरा है. क्योंकि खेती नहीं होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र के किसानों का पलायन बदस्तूर जारी है.

राज्य में कई सरकारें बनीं. सभी ने वादा भी किया था कि हर खेत को पानी और हाथ को काम देंगे. पलायन पर अंकुश लगाया जायेगा. लेकिन सरकार का यह वादा गुमला जिले में महज जुमला बनकर रह गया है. गुमला में कई बड़ी सिंचाई योजनाएं हाथी के दांत साबित हो रहे हैं. गुमला में शंख, दक्षिणी कोयल, लावा, बासा, खटवा, कांजी जैसे कई बड़ी नदियां है. बरसात में इन नदियों में बाढ़ की स्थिति रहती है. लेकिन बरसात खत्म होते ही नदियां सूख जाती है.

चूंकि गुमला जिला पठारी इलाके में बसा है. सीढ़ीदार बनावट के कारण गुमला में पानी ठहराव की व्यवस्था नहीं है. इस कारण गुमला से नदियों का पानी बहकर दूसरे जिले व राज्य में प्रवेश कर जाता है. अगर नदियों के पानी को रोका गया तो जिले के किसान सालोंभर खेती कर सकते हैं.

17 छोटे बड़े डैम, फिर भी लाभ नहीं

जिले में अपरशंख, कतरी, पारस, धनसिंह के अलावा गुमला प्रखंड के तेलगांव, पालकोट के दतली, बसिया के धनसिंह, रायडीह के वासुदेन कोना, घाघरा के मसरिया, देवाकी, रन्हे, जलका, इटकीरी, टोटांबी, बिशुनपुर में नरमा जलाशय सहित 17 छोटे बड़े जलाशय हैं. लेकिन सभी की स्थिति बदहाल है. किसी का केनाल टूटा हुआ है, तो किसी का स्पीलवे व नहर टूटा हुआ है. हालांकि अभी सभी डैम में मरम्मत का काम हुआ है. करोड़ों रुपये खर्च हुए हैं. इसके बाद भी खेत तक पानी नहीं पहुंच रहा है. डैम के बगल के कुछ खेत में पानी पहुंच रहा है तो किसान खेती कर रहे हैं. लेकिन जहां डैम से कुछ दूरी पर नजर बना है. वहां पानी नहीं है.

करौंदा में खेती के लिए पानी नहीं : जीतेश

गांव के जीतेश मिंज ने बताया कि गुमला प्रखंड के करौंदा गांव से करीब 200 लोग पलायन कर गये हैं. क्योंकि इस गांव में रोजगार का साधन नहीं है. खेती करने के लिए पानी नहीं है. इस कारण गांव से हर कमाऊ पुरुष दूसरे राज्य ईंट भटठा चले गये हैं. जिला व ब्लॉक स्तर के अधिकारी काम में रूचि नहीं लेते हैं. जिसका नतीजा पलायन है. बरसात के मौसम में सिर्फ यहां खेती होती है.

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