उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी सेविकाओं को मुख्य सचिव द्वारा चयन मुक्त करने का आदेश गलत है. यह आदेश सरकार वापस नहीं लेती है तो भारतीय मजदूर संघ व्यापक आंदोलन करेगा. उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारी घोषित कराने तथा 18 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय देने के लिए भामस केंद्र सरकार पर लगातार दबाव बनाये हुए है. यदि एक माह के अंदर सरकार इनकी मांगे पूरा नहीं करती है तो 17 नवंबर को संसद भवन में समक्ष प्रदर्शन किया जायेगा.
निर्मल कुमार सिंह ने कहा कि मुख्य सचिव को अपना आदेश वापस लेना होगा. बालोमनी बाखला ने कहा कि आंगनबाड़ी सेविकाओं को चयनमुक्त करने की धमकी दी जाती है जो गलत है. बिना गलती किये सेविकाएं धमकी बर्दाश्त नहीं करेंगी. रामचंद्र गोप ने कहा कि मुख्य सचिव का आदेश उन्हें वापस लेना होगा क्योंकि आंगनबाड़ी कर्मचारी अपनी ड्यूटी पूरी तरह निभाते हैं. धरना को तारामनी कुजूर, गीता देवी, रामधनी देवी, कोयल उरांव, सुमित्रा देवी, सुखमनी देवी, उमा देवी, पुनम तिर्की, सुमित्रा देवी ने भी संबोधित किया. धरना के पश्चात आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ का एक प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त के माध्यम से उपायुक्त को मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में कहा गया है कि मुख्य सचिव द्वारा आंगनबाड़ी सेविकाओ को चयनमुक्त करने का आदेश वापस लिया जाये. सेविकाओं को प्रतिमाह मानदेय दिया जाये. रेडी-टू-इट पोषाहार केंद्रों तक पहुंचाया जाये. विभाग द्वारा ली जाने वाली कमीशन पर रोक लगायी जाये.