लोक सभा के 15 चुनाव यूं ही गुजर गये
जॉली/आरीफ
गुमला : पालकोट प्रखंड से महज 17 किमी दूर स्थित पहाड़ की तलहटी में बसा तिलक्ष्डांड़ गांव के मतदाता आजादी के 67 वर्ष बाद पहली बार वर्ष 2014 के लोक सभा चुनाव (16 वां जेनरल एलेक्शन) में मतदान करेंगे.
तिलक्ष्डांड़ ग्राम आजादी के बाद से ही विकास कार्यों से अछूता रहा है. गांव में 28 परिवार के उरांव, लोहरा व भोक्ता जाति के लोग निवास करते हैं. इस गांव में वोटरों की संख्या 60 है. इस वर्ष 10 लोगों का नाम वोटर लिस्ट में जोड़ा गया है. आजादी से लेकर अब तक वोट क्यों नहीं डाले इस संबंध में ग्रामीण घुरनी देवी, बसंती देवी, बुद्धो देवी, जोगी लोहरा, घुरन लोहरा आदि का कहना है कि गांव में कोई भी विकास का कार्य नहीं किया गया था. पहुंच पथ जजर्र हालत में है. गांव में एक भी चापानल नहीं है.
इस कारण वर्षों से गांव की नदी का पानी पीने को विवश हैं. साथ ही मरदा नदी के ऊपर आधा अधूरा पुल निर्माण कर छोड़ दिया गया है. बरसात के दिनों में नदी में पानी भर जाने के कारण उनके बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाते है. अब वोट क्यों देंगे, इस संबंध में पूछे जाने पर ग्रामीणों ने कहा कि गांव में सड़क निर्माण कार्य तेजी पर है.
तीन माह में सड़क बन जायेगी. पुल के भी बनने की उम्मीद है. सात दिन पूर्व ही गांव में विद्युतीकरण किया गया. जिससे हम सभी खुश हैं और मताधिकार का प्रयोग करने को तैयार हैं. हालांकि तिलईडांड़ ग्राम के मतदाताओं को मतदान की तिथि कब है.
इसकी जानकारी नहीं थी. गांव में अभी तक प्रशासनिक स्तर पर किसी तरह का चुनाव से संबंधित प्रचार- प्रसार नहीं किया गया है और न ही कोई राजनीतिक पार्टियों के लोग इस गांव में तक वोट मांगने पहुंचे हैं. ग्रामीणों ने कहा कि इस बार मतदान करेंगे और जो भी प्रत्याशी सांसद चुन कर आयेंगे, वे कम से कम एक बार गांव आकर उनकी समस्याओं से अवगत होकर उनका निराकरण कर दें.