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बभनिया व नयाचाक गांव में गहराया पेयजल संकट

प्यास बुझाने के लिए पानी की खोज में बर्तन लेकर निकलती हैं महिलाएं

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विभागीय व पदाधिकारी की उदासीनता के कारण क्षेत्र में पेयजल की समस्या विकराल रूप ले सकती है. प्रखंड के किसी भी गांव हो, वहां सोलर जलमीनार शोभा की वस्तु बनकर खड़ी है. अधिकारी से लेकर पदाधिकारी चुप्पी साधे हुए है. ऐसा कुछ वर्तमान समय में नजारा देखने को मिला कि अपनी प्यास बुझाने को लेकर महिलाएं अपने माथे पर पानी का बाल्टी लेकर बीच सड़क से गुजर रही थी. तभी पता चला कि बभनिया गांव में पीने के पानी को लेकर ग्रामीण त्राहिमाम है. क्षेत्र के अमरपुर पंचायत के दो गांव इसमें शामिल हैं, जो पेयजल की घनघोर समस्या से जूझ रहे हैं. इस पंचायत के बभनिया व नयाचाक दो गांव शामिल है. दोनों गांव भगैया परासी मुख्य मार्ग के बगल में बसा हुआ है. गांव के लोग पीने के पानी को लेकर त्राहिमाम हो रहे है.

बभनियां गांव के रहने वाले हैं 20 सूत्री उपाध्यक्ष

बताया जाता है कि बभनियां गांव में 70 घर में 500 सौ की आबादी है. गांव के सड़क के दोनों किनारे लंबी दूरी तक यह गांव बसा हुआ है. गांव में कुर्मी समाज के लोग रहते है, जो मजदूरी कर अपना जीवन गुजर-बसर करते हैं. इसी गांव में 20 सूत्री उपाध्यक्ष रविंद्र प्रसाद महतो का घर है. गांव के लोग पेयजल को लेकर त्राहिमाम है. ग्रामीण प्रमोद कुमार महतो, गुरुप्रसाद महतो, धीरन महतो, बबलू महतो, जयप्रकाश महतो ने बताया की गांव में रहने वाले लोग तो पेयजल की किल्लत से परेशान रहते है. इस पंचायत के अंतर्गत इतनी बड़ी आबादी वाले इस गांव में पेयजल को लेकर लोग हलकान है. गांव के बाहर पूर्व मुखिया अशोक कुमार महतो द्वारा जलमीनार लगाया गया है. जिस पर दोनों गांवों के हजारों हजार की आबादी निर्भर थी. लोग अपने-अपने घरों से बाल्टी व डब्बा लेकर सीधे पानी टंकी की ओर रवाना हो जाते थे और इसी पानी के सहारे लोगों की प्यास बुझती थी, जो विगत एक साल से खराब होकर हाथी का दांत बनकर खड़ी है. इसे देखने वाला कोई नहीं है.

भीषण गर्मी आने से पहले ही शुरू हो गयी पेयजल की समस्या

ग्रामीणों ने बताया कि अभी भीषण गर्मी तो आना बाकी है. शुरुआती दौर में यह समस्या उत्पन्न हो गयी है. गांव के बाहर एक किलोमीटर की दूरी यानी कि महुआरा गांव के जलमीनार से लोग फिलहाल अपने माथे पर पानी लाकर अपनी प्यास बुझाते हैं. इधर नया चक गांव के लोग भी इसी जलमीनार पर आश्रित हैं, जो की गांव की आधी आबादी सुबह और शाम पानी की जुगाड को लेकर गांव से आधे किलोमीटर पैदल चलकर आते हैं. दोनों गांवों में एक ही समस्या बनी हुई है. गांव के ग्रामीण बास्की महतो, सिकंदर महतो, देवनारायण महतो, घनश्याम महतो ने बताया की इस गांव में तो पानी की भयानक समस्या है. कभी कभी तो खुले कुआं का पानी पीने को मजबूर हो जाते है. गांव में एक भी जलमीनार नहीं है.

अधिकारी को सूचना दिये जाने के बावजूद नहीं ली गयी सुध

ग्रामीणों ने बताया की संबंधित विभाग के अधिकारी को सूचना देने के बावजूद भी कोई सुधि नहीं ली जाती है. ग्रामीणों ने बताया की ऐसी स्थिति कभी देखने को नहीं मिली थी. अब तो पानी का बड़ा डब्बा खरीद कर पीना पड़ता है. मजदूरी कर अपना जीवन-यापन करते हैं. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से गांव में हो रही समस्याओं ने निजात दिलाने की मांग की है. इस संबंध में बीडीओ विजय कुमार मंडल से पूछे जाने पर बताया की मामले को गंभीरता पूर्वक लेते हुए उचित पहल करने का काम किया जाएगा. राशि का आवंटन आते ही क्षेत्र के सभी जलमीनार दुरुस्त कर दिये जाएंगे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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