जीवन की दूसरी पारी में कार्य करने वाले लोगों की कमी नहीं हैं. उम्र के आखरी पड़ाव में भी कई लोगों ने समाजसेवा में अपने जीवन को झोंक दिया है. अपने ऊपर होने वाले किसी भी कठिनाइयों से ये डरते नहीं, बल्कि चुनाैतियों को साथ लेकर काम कर रहे हैं. ऐसे लोगों की वजह से समाज में एक अलग चेतना जागृत हो रही है. साथ ही इससे उनकी पहचान होती है. ऐसे मामलों के बदौलत ही नयी पीढ़ी को प्रेरणा मिलती है. ठाकुरगंगटी के ऐसे कई लोग हैं, जिन्होंने दूसरों के लिए अपना जीवन समर्पित किया हैं. ऐसे ही समर्पित लोगों पर प्रस्तुत है रिपोर्ट.
श्यामाकांत ठाकुर : अब शिक्षा के प्रति लोगों के बीच जगा रहे हैं अलख
ठाकुरगंगटी प्रखंड के चांदा गांव के रहने वाले शिक्षक श्यामाकांत ठाकुर वर्ष 2016 में सेवानिवृत्ति के बाद गांव में जीवन बिता रहे है. वे सेवानिवृत होने के कुछ दिनों के बाद से गांव में शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से युवा व युवितयों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने में लगे हैं. उनकी प्रेरणा दिखाती है कि समाज में किसी भी वर्ग के लोगों के लिए शिक्षा से ही अपनी पहचान होती है. शिक्षा के बगैर जीवन अधूरा है. समाज के हर वर्ग के लोगों को इस बात को लेकर प्रेरित किया जा रहा है कि जीवन के लक्ष्य को पाने के लिए शिक्षित होना अनिवार्य है.दिलीप ठाकुर : सेवानिवृत होने के बाद लोगों के बीच बागवानी पर दे रहे जोर
दिलीप ठाकुर सेवानिवृति के बाद गांव में ही रहकर कार्य करना शुरू कर दिया है. खेती की ओर आकृष्ट होकर लोगों के बीच खेती एवं बागवानी पर जोर दे रहे है. शिक्षा के क्षेत्र में अच्छी भूमिका के बाद उन्नत खेती की ओर कदम बढ़ाया है. पड़ोसी के साथ मिलकर गांव के लोगों को उन्नत खेती व बागवानी करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. सिंचाई की उचित व्यवस्था अपने खेतों के आसपास करने करने के साथ ही खेतों में अच्छी पैदावार और बुआई के साथ-साथ देखभाल करने की टिप्स पर काम कर रहे हैं. इससे लोगों को फायदा भी मिल रहा है.
अनिल कुमार मिश्र : धार्मिक कार्यों से जुड़कर काम करना ही एक मात्र लक्ष्य
अनिल कुमार मिश्र शिक्षक पद से सेवानिवृत होने के बाद से गांव के साथ आसपास समाज के बीच धार्मिक कार्यों को लेकर जागरूक करने में पूरी तरह से लगे हैं. उनका मानना है कि सेवा सबसे बड़ा धर्म है. सत्संग को अपनाकर लोग ईश्वर की भक्ति कर सकते हैं. गांव के लोगों को सत्संग से जोड़कर जागरूक करने का काम कर रहे हैं. उनका मानना है कि आज के युग में शिक्षा के साथ-साथ संस्कार देना भी जरूरी है. इसके लिए अध्यात्म की ओर झुकाव भी बेहतर रास्ता है. इसके लिए लोगों को सत्संग के फायदे से भी अवगत कराते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है