प्रकृति और भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक करमा पर्व जिला मुख्यालय सहित विभिन्न प्रखंडों के गांवों में धूमधाम व श्रद्धा के साथ मनाया गया. यह पर्व मुख्यतः कुड़मी, जनजाति और अन्य समुदायों द्वारा बड़े पैमाने पर उत्साहपूर्ण वातावरण में उत्सव स्वरूप मनाया जाता है. पिछले पांच दिनों से चल रहे इस पर्व में भाद्रपद माह की पंचमी तिथि से कन्याएं पांच प्रकार के अन्न धान, गेहूं, जौ, उड़द, मक्का डलिया में बोकर नियमित रूप से की गयी पूजा और गीतों के साथ करम जावा जागरण का कार्यक्रम आयोजित किया. बुधवार को एकादशी व्रत के बाद शाम को करमा डाल पूजन संपन्न हुआ और अगले दिन सुबह उसके विसर्जन के बाद व्रत का पारण बासी दाल‑भात और झींगा की सब्जी से किया गया. जानकार बताते हैं कि इस पर्व के दौरान कन्याओं को संस्कार एवं नियम सिखाए जाते हैं. जैसे व्रत पालन, खान-पान और आदतें जो बाद में मां बनने पर जीवन में निभाने पड़ते हैं.युवितयों ने की भाइयों की लंबी उम्र की कामनाबोआरीजोर प्रतिनिधि के अनुसार तेतरिया, हिजूकिता, सिमड़ा, राजाभिट्ठा जैसे गांवों में करमा उत्साहपूर्वक मनाया गया. बहनों ने करम डाली के समीप करमा नृत्य करते हुए भाइयों की लंबी उम्र की कामना की. राखी, रानी, रीता और सुलेखा ने साझा किया कि भाई चाहे कहीं भी रहे, करमा पर वह बहन के पास अवश्य लौट आता है और बहन को हर संकट से बचाने का वचन देता है. पूरे क्षेत्र में खुशी का माहौल है और करमा नृत्यों और गीतों से गूंजता रहा.
सुख-शांति की कामना के साथ मनाया गया करमा पर्व
महागामा प्रखंड के महागामा बाजार, लालबगीचा, बलिया, पथरकानी, बेलटिकरी सहित गांवों में महिलाएं और युवा उत्साह व आस्था के साथ करमा पर्व मनाया. बहनों ने पूरे दिन व्रत रखा और करम डाल पोखर में स्थापित कर पूजा-अर्चना की. उन्होंने भाइयों की लंबी उम्र, परिवार की खुशहाली और समाज की समृद्धि की मंगलकामना की. साथ ही, फसल की अच्छी उपज और क्षेत्र में समृद्धि की भी प्रार्थना की गयी. पारंपरिक करमा गीतों पर सामूहिक नृत्य ने वातावरण और भी भक्तिमय बना दिया. करमा पर्व ने एक बार फिर भाई-बहन के अपूर्व प्रेम, सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत को उजागर किया, जिससे यह पर्व आज भी ग्रामीण जीवन का अनमोल अंग बना हुआ है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

