मौसम में तेजी से हो रहे बदलाव के कारण प्रखंड क्षेत्र के नदी, पोखर, तालाब, कुआं, चापाकल का जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है. क्षेत्र के कई पोखर तो दो माह पूर्व ही पूरी तरह से सूख चुका है. नदी, पोखर, तालाब, चापाकल, कुआं के सूख जाने के कारण ग्रामीणों को पेयजल, स्नान करने, वस्त्र की धुलाई करने के साथ-साथ मवेशियों के पानी की व्यवस्था के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मालूम हो कि मार्च में ही योगिनी स्थान के भक्त गृह के समीप पोखर का पानी पूरी तरह से सूख चुका है. बताते चलें कि जिस पोखर में हमेशा पानी भरा रहता था, वहां इन दिनों पोखर के चारों तरफ जंगली पौधों की भरमार लगी हुई है. इसके साथ ही पोखर के अंदर पानी की जगह ईंट-पत्थर के टुकड़े दिखायी पड़ रहे हैं. पोखर का जलस्तर घटने की वजह से पोखर के जमीन की मिट्टी साफ तौर पर दिखाई देने लगी है. पोखर महज एक बंजर जमीन या फिर मिट्टी के बड़े गड्ढे के रूप में दिखायी दे रहा है. यह भी बता दें कि यह पोखर कभी योगिनी स्थान समेत आसपास के ग्रामीणों के लिए उपयोगी साबित होता था. योगिनी स्थान में रहने वाले धरनार्थी श्रद्धालु के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीण स्नान व वस्त्र धुलाई आदि कार्य के लिए पोखर पहुंचा करते थे, लेकिन वर्तमान समय में लोगों को पोखर से एक बूंद भी पानी नसीब नहीं हो रहा है. इस संबंध में स्थानीय पंकज कुमार साह, सौरव, विलास, सुमृत महलदार, पंकज कुमार आदि का कहना है कि पिछले वर्ष गर्मी के मौसम में पोखर का पानी थोड़ा ही घटा था, किंतु इस बार मौसम के बदलाव होने से मार्च महीने में ही पोखर का जल स्तर समाप्त हो गया. ग्रामीणों ने बताया कि पोखर में पानी रहने से स्नान, वस्त्र धुलाई के साथ साथ पशुपालकों को अपने मवेशियों को पानी पिलाने में सहूलियत होती थी.
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