बाबूपाड़ा स्थित सार्वजनिक ठाकुरबाड़ी में भक्तों ने सुनी अनंत की कथा प्रतिनिधि, गोड्डाजिला मुख्यालय समेत विभिन्न प्रखंड क्षेत्रों में श्रद्धा भक्तिभाव के साथ अनंत चतुर्दशी का व्रत मनाया गया. भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है. अनंत भगवान की पूजा के बाद चौदह गांठ वाले सूत्र को अनंत भगवान का स्वरूप मान कर पुरुष श्रद्धालुओं ने दाएं व महिलाओं श्रद्धालुओं ने बाएं बाजू पर धारण किया. लोगों में ऐसी मान्यता है कि अनंत के चौदह गांठों में प्रत्येक गांठ एक-एक लोक का प्रतीक है. जिसकी रचना भगवान विष्णु ने की है. श्रद्धालुओं ने अपने अपने घरों और मंदिरों में श्रृष्टिकर्ता विष्णु के स्वरूप भगवान अनंत की विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना किया. गोड्डा शहर के बाबूपाड़ा स्थित सार्वजनिक ठाकुरबाड़ी में अनंत चतुर्दशी के मौके भगवान अनंत की पूजा-अर्चना में श्रद्धालु शामिल हुए. पूजा में पंडित अजय झा व कृष्णा झा ने मौजूद भक्तों ने अनंत चतुर्दशी की कथा सुनायी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पांडव कौरवों से जुए में अपना राजपाट हारकर जब जंगल में भटक रहे थे. कई प्रकार के कष्टों को झेल रहे थे. तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत भगवान का व्रत और पूजा करने की सलाह दी थी. पांडवों को अनंत पूजा के बाद कष्टों से छुटकारा मिल गया. इसके बाद से भाद्र महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है. अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला माना गया है.
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