महागामा प्रखंड के हनवारा क्षेत्र सहित आसपास के गांवों में बुधवार को प्रकृति पर्व करमा पूरे हर्षोल्लास और पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ मनाया गया. यह पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम और पारंपरिक लोक आस्था का प्रतीक माना जाता है. हनवारा, रामकोल, नरैनी, गढ़ी, परसा, कोयला, बिशनपुर, गोरगांवा, अंजाना, कुशमहारा सहित विभिन्न गांवों में सुबह से ही पर्व को लेकर उत्सवी माहौल रहा. युवतियों की टोली पारंपरिक वेशभूषा में करमा गीत गाते हुए लोक नृत्य करती नजर आयीं. कई स्थानों पर सड़कों पर करम डाली रखकर युवतियों ने सामूहिक नृत्य किया, तो कहीं अपने घरों के आंगन में पूजा की तैयारियों में लगी रहीं. रात्रि में करमा डाल की विधिवत पूजा की गयी और बहनों ने अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए मंगल कामनाएं कीं. ग्रामीण मान्यता के अनुसार डाली में बोये गए जावा बीज जिस प्रकार अंकुरित होकर विकसित होते हैं, उसी तरह व्रत करने वालों के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का संचार होता है. महागामा प्रखंड के मुरलीपहाड़ी सहित कई गांवों में भी करमा पूजा उत्साह के साथ मनायी गयी. पर्व का समापन गुरुवार सुबह जलाशयों में करमा डाली के विसर्जन के साथ किया गया. इस दौरान करमा गीतों की गूंज और पारंपरिक रीति-रिवाजों की छटा देखते ही बन रही थी. बड़ी संख्या में लोग करमा गीतों का आनंद लेने के लिए विभिन्न गांवों में उपस्थित रहे. महिलाओं ने पूरे दिन उपवास रखकर इस लोकपर्व को पूरी श्रद्धा के साथ मनाया.
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