शौचालय के पास ड्यूटी पर तैनात सुरक्षा कर्मियों ने बताया कि वे लंबे समय से दुर्गंध के बीच ड्यूटी करने को मजबूर हैं. कई बार शिकायतों के बावजूद समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो पाया है. वहीं कैंपस में बना शौचालय सामान्य है, जिसमें पुरुष और महिलाएं एक साथ जाने को मजबूर हैं. इससे महिला अधिवक्ताओं को काफी परेशानी होती है.
अधिवक्ता टीपी ने बताया एक ही शौचालय में जाते हैं महिला-पुरुष
वरिष्ठ अधिवक्ता टीपी बक्शी ने बताया कि शौचालय के बगल में ही अधिवक्ता क्लाइंट्स से मिलते हैं, जिससे क्लाइंट्स भी आने से कतराते हैं. उन्होंने कहा कि कई बार नजीर को इस मुद्दे से अवगत कराया गया, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. इस पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि किसी को कोई परेशानी न हो.
क्या कहते हैं अधिवक्ता व सुरक्षा कर्मी
महिला अधिवक्ता सेवा बसु ने कहा कि महिला शौचालय में प्रायः ताला बंद रहता है और जो शौचालय उपलब्ध है, वह इतनी गंदगी से भरा है कि उसके पास जाना भी खतरे से खाली नहीं है. अधिवक्ता राकेश कुमार ने बताया कि शौचालय की साफ-सफाई ना होने से कई वकील यूरिन इंफेक्शन जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं. उन्होंने इसे न्यायालय जैसी जगह के लिए शर्मनाक बताया. सुरक्षा में तैनात जवानों ने बताया कि वे पिछले चार वर्षों से इसी स्थिति में काम कर रहे हैं. शिकायतों के बावजूद केवल अस्थायी सफाई होती है, समस्या जस-की-तस बनी रहती है.
रोज होती है सफाई
प्रशासनिक प्रभारी (नाजीर) प्रणेश अजीत ने कहा कि शौचालय की सफाई रोज होती है, लेकिन उपयोग अधिक होने के कारण शौचालय जल्दी गंदा हो जाता है. उन्होंने महिला शौचालय में ताला लगाने की बात को गलत बताया.
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