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Giridih News :50 लाख से बने स्वास्थ्य उपकेंद्र पर सात साल से लटका है ताला

अस्पताल या शैक्षणिक संस्थान महंगे उपकरणों और डिस्टेंपर या वाल-पुट्टी की दीवारों से सिर्फ घिरा भवन नहीं. कुशल मानव संसाधन के अलावे संवेदनशील शासन व जवाबदेह विभाग न हो, तो लाखों-करोड़ों की लागत का कोई मतलब नहीं होता. बेंगाबाद प्रखंड के फिटकोरिया में स्थित स्वास्थ्य उपकेंद्र इस नाकामी का जीता-जागता उदाहरण है. 50 लाख की लागत से बने इस उपकेंद्र पर सात सालों से लटके ताले में जंग लग गयी, पर कोई स्वास्थ्य कर्मी इधर झांकने नहीं आते.

भवन बनने के बाद से ही बंद पड़ा है. लगभग सात साल बीतने के बाद भी इसका संचालन नहीं हो पा रहा है. यहां ना तो एएनएम पहुंचती है और ना ही जीएनएम. 50 लाख की लागत से यह स्वास्थ्य उपकेंद्र जब बना तो क्षेत्र में आस जगी थी कि स्वास्थ्य संबंधी छोटी-मोटी परेशानियों में इन्हें बेंगाबाद जाने से राहत मिल जायेगी. लेकिन इन सात सालों में सभी अरमान पर पानी फिर गया.

इलाज के लिए दूर जाने की विवशता

केंद्र बनने के बाद यहां पर स्वास्थ्य कार्यकर्ता को पदस्थापित भी कर दिया गया, लेकिन यह सिर्फ कागज पर ही सिमट कर रह गया. केंद्र के संचालन की दिशा में ना तो पदस्थापित कर्मी में दिलचस्पी दिखी और ना ही विभाग ने इसकी कोई खोज-खबर ली. फलत: यह उपकेंद्र कभी खुला ही नहीं. यहां के मरीजों को इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता है या फिर निजी अस्पताल की शरण में जाने की विवशता है.

कहते हैं जनप्रतिनिधि : विभाग नहीं सुनता किसी की

स्थानीय मुखिया तरन्नुम परवीन का कहना है कि उप स्वास्थ्य केंद्र उनके कार्यकाल में एक दिन भी नहीं खुला है. इस मामले को लेकर कई बार प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी से बात हुई, पर इसका कोई असर नहीं पड़ा. इस स्थिति में महिलाओं को परेशानी झेलनी पड़ रही है. पंचायत समिति सदस्य मो मिनसार का कहना है कि फिटकोरिया उप स्वास्थ्य केंद्र खुलवाने के लिए लंबे समय से पंचायत समिति की बैठक में मामला उठाया गया. प्रमुख सहित विभागीय पदाधिकारियों की मौजूदगी में उठायी गयी मांग को प्रस्ताव में भी लिया गया, पर सब कुछ बेनतीजा रहा.

कहते हैं ग्रामीण : स्वास्थ्य उपकेंद्र का लाभ सिर्फ संवेदक को मिला

फिटकोरिया में स्वास्थ्य उपकेंद्र तो है, पर कभी खुला नहीं है. ग्रामीणों को हमेशा ताला लटका मिलता है. गांव के मो शहाबुद्दीन, मो सत्तार, जुबैदा बीबी, सहदेव ठाकुर सहित कई ग्रामीणों ने कहा कि स्वास्थ्य उप केंद्र का लाभ ग्रामीणों को तो नहीं, पर संवेदक जरूर लाभान्वित हुआ. उन्होंने बताया कि केंद्र के संचालन के लिए कभी कोई कर्मी नहीं आता है. ऐसे में सर्वाधिक परेशानी गर्भवती महिलाओं को होती है. रूटीन जांच के लिए उन्हें सीएचसी का रुख करना पड़ता है. स्वास्थ्य संबंधी छोटी-मोटी परेशानियों में भी बेंगाबाद आना पड़ता है.

जवाबदेह कर्मियों से मांगा जायेगा संवेदक : प्रबंधक

इधर, अस्पताल प्रबंधक अरविंद कुमार का कहना है कि इस केंद्र के संचालन की जवाबदेही एक एएनएम और एक एमपीडब्लू को सौंपी गयी है. केंद्र का संचालन होना चाहिए. नहीं खुलता है, तो जिम्मेदार कर्मियों से स्पष्टीकरण मांगा जायेगा.

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