इस कार्यक्रम का उद्देश्य झारखंड की समृद्ध आदिवासी संस्कृति और लोक परंपराओं को पुनर्जीवित करना और उसे नयी पीढ़ी तक पहुंचाना था. इसमें पांच पंचायतों के ग्रामीण कलाकारों ने भाग लिया. आदिवासी परिधानों में सजे कलाकारों ने पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन पर नृत्य प्रस्तुत किया. कार्यक्रम में हो, संताली, मुंडारी व नागपुरी जैसे पारंपरिक नृत्य रूपों की मनमोहक झलक देखने को मिली. दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से प्रस्तुति की सराहना की.
बीडीओ समेत अन्य ने किया संबोधित
बीडीओ निसात अंजुम, बीपीओ अभिषेक कुमार व दीपक कुमार ने अपने विचार रखे. कार्यक्रम का संचालन अभिव्यक्ति फाउंडेशन के सदस्यों ने किया. संगठन के प्रतिनिधियों ने बताया कि झारखंड स्थापना दिवस केवल एक सरकारी पर्व नहीं, बल्कि यह आदिवासी अस्मिता, संस्कृति और संघर्ष की पहचान का प्रतीक है.
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