शहर से लेकर गांवों तक लोगों की भीड़ पंडालों व दुर्गा मंदिरों में उमड़ी. लोगों में काफी उत्साह देखा गया. भगला काली मंदिर सरिया के पुजारी बाबूलाल पांडेय ने बताया कि मां दुर्गा का यह रूप सबसे विकराल होता है. इस स्वरूप की पूजा करने से सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं, अंधकार और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है. अधूरे कार्य पूर्ण होते हैं. इन्हें गुड़ या गुड़ से बनी वस्तुओं से भोग निवेदन करना चाहिए.
बागोडीह गांव में निकली कलश
यात्रा
दुर्गा पूजा के सातवें दिन बागोडीह ग्राम में भव्य कलश यात्रा निकाली गयी. भजन व पारंपरिक वाद्य यंत्र के साथ महिलाएं कलश लेकर बराकर नदी पहुंचीं. वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कलशों में जल भरवारा गया. इसके बाद महिलाएं वापस पूजा पंडाल पहुंची, जहां पंचांग पूजन के साथ मां दुर्गा की पूजा शुरू हुई. यात्रा में काफी संख्या में महिला-पुरुष शामिल थे. इधर, हजारीबाग रोड स्टेशन परिसर में सार्वजनिक दुर्गा पूजा तथा रेलवे पार्क दुर्गा पूजा स्थलों में भी बांग्ला पद्धति के अनुसार जलाशय से कलशों में जल भरवाकर लाया गया.
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