23.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Giridih News :सांप्रदायिक सौहार्द्र का प्रतीक है लंगटा बाबा समाधि स्थल

Giridih News :संत लंगटा बाबा समाधि स्थल लोक आस्था और विश्वास के साथ-साथ सांप्रदायिक सौहार्द्र का प्रतीक है. यहां पोष पूर्णिमा पर मेला लगता है.

मेला आज. सभी धर्मों के भक्त करते हैं चादरपोशी, कई प्रदेशों के भक्त पहुंचते हैं बाबा ग्राम खरगडीहा संत लंगटा बाबा समाधि स्थल लोक आस्था और विश्वास के साथ-साथ सांप्रदायिक सौहार्द्र का प्रतीक है. जमुआ-देवघर सड़क पर खरगडीहा उसरी नदी के तट पर यह स्थित है. वर्ष 1910 की पौष पूर्णिमा के दिन बाबा ने महासमाधि ले ली थी. तभी से प्रत्येक वर्ष पौष पूर्णिमा के दिन खरगडीहा स्थित समाधि स्थल पर भव्य मेला लगता है. इस वर्ष सोमवार 13 जनवरी को मेला लगेगा. बाबा को हिंदू जहां सिद्ध संत मानते हैं तो वहीं मुस्लिम समाज के लोग सिद्ध फकीर मानकर दुआ करते हुए शिरनी चढ़ाते हैं. समाधि स्थल पर हिंदू मुस्लिम समेत अन्य धर्मों के लोग भी चादरपोशी करते हैं. समाधि पर्व के दिन झारखंड, बिहार, बंगाल, आडिशा, यूपी आदि राज्यों के श्रद्धालु खरगडीहा पहुंचते हैं.

थानेदार चढ़ाते हैं पहली चादर

बाबा के समाधि स्थल पर जमुआ के थानेदार पहली चादर चढ़ाते हैं. वर्ष 1910 को बाबा को समाधि लेने के बाद उनके पार्थिव शरीर पर खरगडीहा थाना के तत्कालीन थानेदार बहाउद्दीन खान ने चादर रखी थी. ब्रिटिश हुकूमत के दौरान खरगडीहा में जब तक थाना रहा, वहां पदस्थापित थानेदार ही समाधि स्थल पर चादरपोशी करते रहे. जब जमुआ में थाना बना, तो यहां के थाना प्रभारी चादरपोशी करते आ रहे हैं.

1870 में खरगडीहा आये थे बाबा

वर्ष 1870 की सर्दी में नागा साधुओं का एक दल देवघर जाने के क्रम में विश्राम के लिए खरगडीहा स्थित तत्कालीन पुलिस थाना और परगना कार्यालय परिसर में रुका था. दूसरे दिन साधुओं का दल वहां से रवाना हो गया, लेकिन एक साधु यहीं रह गये. वह प्रायः नग्नावस्था या एक कंबल से अपने शरीर को ढंके रहनेवाले यही साधु बाद में लंगटा बाबा, लंगेश्वरी बाबा, जगत गुरु वामदेव, साक्षात शिवशंकर आदि नामों से लोकप्रिय हुए. जानकारों की मानें तो बाबा शरद कालीन आकाश की भांति निर्मल और प्रकृति की तरह सहज थे. उनके समाधि में लेने पर बाबा लाखों श्रद्धालुओं के आराध्य बने हुए हैं.

एसपी ने की है सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था

एसपी डॉ विमल कुमार ने समाधि स्थल पर चादरपोशी व भव्य मेला के लिए सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की है. कई अधिकारी यहां प्रतिनियुक्त किये गये हैं. रविवार को जमुआ के बीडीओ अमलजी, थाना प्रभारी मणिकांत कुमार, मुखिया पप्पू साव, उप मुखिया पप्पू खान, सेवादार अर्मेंद्र कुमार आदि ने समाधि स्थल का निरीक्षण किया.

हरिहर प्रसाद सिंह ने लंगटा बाबा के जीवन पर लिखी पुस्तक

देवरी प्रखंड के मारुडीह गांव निवासी हरिहर प्रसाद सिंह ने लंगटा बाबा के जीवन पर पुस्तक लिखी है. उनकी पुस्तक चतुर्युग कर्मायण में लंगटा बाबा के खरगडीहा आने उनके यहां रहने के प्रसंगों को शामिल किया गया है. नयी दिल्ली के सृजनलोक प्रकाशन से छपी पुस्तक चतुर्युग कर्मायण के पृष्ठ संख्या 64 से दस पेज का “जबलपुर के संत गनपत ओझा उर्फ लंगटा ” शीर्षक आलेख लंगटा बाबा के जीवन पर प्रकाश डाला गया. जिसमें बताया गया कि खरगडीहा में अंग्रेजों के जमाने में थाना संचालित था. उसी थाना में देवघर जा रहे नगा साधुओं की मंडली आकर रुकी. दूसरे दिन सुबह मंडली में शामिल अन्य साधु अपने गंतव्य की ओर रवाना हो गये. लेकिन गणपत ओझा उर्फ लंगटा बाबा खरगडीहा में ही रुक गये. उनके गुणों के करण लोग उन्हें देवता समझते थे. हिंदू धर्मावलंबियों के साथ मुस्लिम धर्म के लोग भी उन्हें आर्दश मानते हैं. उनके निधन के बाद उनकी समाधि स्थल खरगडीहा में हीं बनायी गयी. यहां पर लोग चादरपोशी करते हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar News Desk
Prabhat Khabar News Desk
यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel