ट्रस्ट की संपत्ति वापस नहीं करने के मामले में कोर्ट ने डीसी, एसडीओ व बेंगाबाद सीओ को हाजिर होने को कहा
डीसी नमन प्रियेश लकड़ा, एसडीओ श्रीकांत यशवंत विस्पुते और बेंगाबाद की अंचल अधिकारी प्रियंका प्रियदर्शी को झारखंड हाइकोर्ट द्वारा 27 फरवरी को सशरीर हाजिर होने के आदेश के बाद केआइटी पुन: चर्चा में है. संस्थान के प्रबंधन के सवाल पर विवाद हुआ था. इसी मामले में गिरिडीह एसडीएम कोर्ट द्वारा केआइटी की चल-अचल संपत्ति को कुर्क करने का आदेश 29 मई, 2020 को जारी किया गया और बेंगाबाद के सीओ को रिसीवर बहाल किया गया. उस वक्त बेंगाबाद सीओ ने केआइटी के अध्यक्ष अरविंद कुमार से संस्थान की चाभी समेत अन्य संपत्ति को जब्त कर लिया था. एसडीएम कोर्ट के इस आदेश को केआइटी के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने झारखंड हाइकोर्ट में चुनौती दी. झारखंड हाईकोर्ट ने क्रिमिनल रिवीजन पर सुनवाई करते हुए एसडीएम कोर्ट के आदेश को ही रद्द कर दिया. इसी आदेश में रिसीवर की अवधि का लेखा-जोखा संस्थान के अध्यक्ष को देने का निर्देश दिया गया. बता दें कि इस आदेश के बाद भी केआइटी की संपत्ति व प्रबंधन ट्रस्ट को वापस नहीं सौंपी गयी.सात बैंक खाताें में से मात्र एक खाते का ही लेखा-जोखा दिया : हाइकोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं करने और कॉलेज के संचालन में हो रही परेशानी के बाद केआइटी अध्यक्ष अरविंद कुमार ने झारखंड हाइकोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर दी. कोर्ट को बताया गया कि न ही ट्रस्ट को चल-अचल संपत्ति वापस की जा रही है और न ही हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में उन्हें संस्थान में किये गये खर्च का लेखा-जोखा दिया जा रहा है. कोर्ट को बताया गया कि केआइटी के सात बैंक खाते हैं, जिनमें से मात्र एक खाते का ही लेखा-जोखा दिया गया है.कोट
एसडीएम कोर्ट के आदेश के आलोक में रिसीवर रहे बेंगाबाद के सीओ ने संस्थान की चल-अचल संपत्ति को मुझसे हासिल किया, तो मुझे वापस भी करे. लेकिन पिछले चार महीने से चल-अचल संपत्ति वापस करने में टाल-मटोल की जा रही है. सिर्फ गड़बड़ी करने के मामले में शामिल कुछ अधिकारियों को बचाने के लिए एक साजिश के तहत टाल-मटोल किया जा रहा है और मुझ पर समझौता के लिए अनावश्यक दबाव डाला जा रहा है. जिस खाते में गड़बड़ी की गयी है, उसका लेखा-जोखा तक नहीं दिया गया. इतना ही नहीं, मनमानी फीस वसूली कर संस्थान को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया गया है.अरविंद कुमार, अध्यक्ष, केआइटी
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