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Giridih News: पीडीएस अनाज वितरण में गिरिडीह जिला सबसे पीछे, केवल 14.2 प्रतिशत ही बंटा

Giridih News: राज्य में गिरिडीह जिला पीडीएस अनाज के वितरण में इस बार फिर पिछड़ गया है. सबसे खराब प्रदर्शन करते हुए गिरिडीह जिला में 23 मार्च तक मात्र 14.2 प्रतिशत अनाज का ही वितरण किया जा सका.

राज्य स्तर पर अनाज का औसत वितरण का प्रतिशत 60.38 प्रतिशत रहा है. लाभुकों को होली के समय में भी अनाज नहीं मिल सका. अधिकांश पीडीएस दुकानों में डोर स्टेप डिलेवरी के संवेदकों की लापरवाही और सुनियोजित साजिश के तहत अनाज पहुंच ही नहीं सका. अभी तक स्थिति यह है कि ईद के समय तक भी अधिकांश गरीबों को अनाज मिलने की उम्मीद कम है. मार्च माह के पूरे होने में मात्र सात दिन बचे हैं.

ऐसे में बिना समय विस्तार लिये शत प्रतिशत अनाज के वितरण की कोई उम्मीद नहीं है. यदि राज्य स्तर के आंकड़ों पर गौर करें तो जामताड़ा जिला में अनाज का सबसे अच्छा वितरण व्यवस्था रहा. इस जिला में अब तक 86.71 प्रतिशत अनाज का वितरण कार्य पूर्ण कर लिया गया है.

वहीं रामगढ़ में 85.75 प्रतिशत, गुमला में 82.67 प्रतिशत, लोहरदगा में 82.15 प्रतिशत और सिमडेगा में 80.71 प्रतिशत अनाज का वितरण हो गया है. गिरिडीह और दुमका छोड़कर अन्य जिलों में 55 प्रतिशत से अधिक अनाज का वितरण कर लिया गया है.

समय विस्तार लेकर की जाती है अनाज गायब

गिरिडीह जिला में गरीबों के अनाज की कालाबाजारी करने वाले का नेटवर्क काफी मजबूत है. अनाज को गायब करने के लिए जनवितरण प्रणाली व्यवस्था को ही इस जिले में ध्वस्त कर दिया गया है. एक साजिश के तहत अनाज वितरण की गति को प्रत्येक माह धीमी कर दी जाती है ताकि कार्डधारियों को अनाज वितरण करने के नाम पर समय विस्तार कराया जा सके और पीडीएस के पोर्टल के लॉक को खुलवाया जा सके. यहां गौर करने की बात तो यह है कि राज्य में गिरिडीह ही एक ऐसा जिला है, जहां दस दिनों का समय विस्तार लेकर पिछले कई महीने से पोर्टल खुलवाया जा रहा है. दो-दो माह का पोर्टल चालू हो जाने से कार्डधारियों से दो माह का फिंगर प्रिंट लेकर उन्हें एक माह का अनाज दे दिया जाता है और एक माह का अनाज गायब कर दिया जाता है. यदि इस मामले को लेकर लाभुक हो-हल्ला भी करते हैं, तो उनका सुनने वाला कोई नहीं है. अनाज की कालाबाजारी के इस सिस्टम में कई अधिकारियों के साथ-साथ डोर स्टेप डिलेवरी के संवेदक और ट्रांसपोर्टर भी शामिल हैं. इनका नेटवर्क इतना मजबूत है कि कई गड़बड़ियों के खुलासे के बाद भी समय विस्तार का खेल सुनियोजित तरीके से कई महीनों से जारी है.

बोकारो के चंदनकियारी में मात्र 27.3 प्रतिशत अनाज का वितरण

बोकारो जिला के चंदनकियारी प्रखंड अनाज वितरण में सबसे पीछे चल रहा है. बोकारो जिला का जहां औसत वितरण प्रतिशत 65 प्रतिशत है, वहीं चंदनकियारी प्रखंड का वितरण प्रतिशत 23 मार्च तक मात्र 27.28 प्रतिशत है. इस प्रखंड में लाभुकों को होली के अवसर पर भी अनाज नहीं मिल पाया. गोदामों में अनाज नहीं रहने के कारण कार्डधारी पीडीएस दुकान में पहुंचकर वापस लौट गये. वितरण व्यवस्था में सबसे बेहतर जरीडीह प्रखंड का है.

जरीडीह प्रखंड में अब तक 81.24 प्रतिशत, गोमिया में 78.74 प्रतिशत, नावाडीह में 73.73 प्रतिशत, चास में 72.77 प्रतिशत, कसमार में 69.69 प्रतिशत, चास नगर निगम क्षेत्र में 68.91 प्रतिशत, बेरमो में 66.91 प्रतिशत, फुसरो में 66.55 प्रतिशत, बोकारो स्टील सिटी में 66.28 प्रतिशत, बोकारो स्टील सिटी (टीए) में 64.93 प्रतिशत, पेटरवार में 60.96 प्रतिशत और चंद्रपुरा में 56.04 प्रतिशत अनाज का वितरण किया गया है.

धनबाद में एग्यारकुंड प्रखंड अनाज वितरण में सबसे पीछे

धनबाद जिला में पीडीएस के अनाज का वितरण का प्रतिशत 69.05 प्रतिशत है. लेकिन इस जिले के चिरकुंडा प्रखंड में वितरण काफी धीमी गति से हो रही है. चिरकुंडा प्रखंड में 23 मार्च तक अनाज का वितरण मात्र 43.97 प्रतिशत हो पाया है.

पूर्वी टुंडी में 80.02 प्रतिशत अनाज का वितरण कर लिया गया है. जबकि बलियापुर में 76.02 प्रतिशत, गोविंदपुर में 70.99 प्रतिशत, निरसा में 70.86 प्रतिशत, धनबाद नगर निगम क्षेत्र में 67.5 प्रतिशत, धनबाद मुफस्सिल क्षेत्र में 65.61 प्रतिशत और बाघमारा प्रखंड में 65.26 प्रतिशत अनाज का वितरण किया गया है.

ट्रांसपोर्टरों को दी गयी है चेतावनी : डीएसओ

गिरिडीह में खराब वितरण व्यवस्था पर जिला आपूर्ति पदाधिकारी गुलाम समदानी ने बताया कि डोर स्टेप डिलेवरी करने वालों के साथ-साथ एफसीआई के गोदाम से अनाज ढोने वाले ट्रांसपोर्टरों को भी चेतावनी दी गयी है और कहा गया है कि समयबद्ध तरीके से अनाज निर्धारित स्थलों में पहुंचायें. उन्होंने कहा कि एफसीआई के तरफ से भी लापरवाही हो रही है. कहा कि पिछले दिनों एफसीआई के अधिकारियों के साथ भी बैठक की गयी है. श्री समदानी ने कहा कि शीघ्र ही पीडीएस व्यवस्था को दुरुस्त कर लिया जायेगा.

खूंटी में स्मार्ट पीडीएस का पायलट प्रोजेक्ट शुरू

राशन वितरण व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पूरे सिस्टम को डिजिटिलाइजेशन किया जाना है. इसके लिए कई राज्यों में स्मार्ट पीडीएस स्कीम लागू की जा रही है. झारखंड में खूंटी जिला में स्मार्ट पीडीएस का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. हालांकि फिलहाल केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर मिलने वाली सामग्री के वितरण के लिए ई-पोश मशीन में ही अलग-अलग व्यवस्था की गयी है.

खूंटी के सभी सात प्रखंडों में 1,09,640 लाल व अंत्योदय कार्डधारियों और 11,074 ग्रीन कार्डधारियों को अनाज समेत अन्य सामग्री देने की व्यवस्था कर ली गयी है. खूंटी जिले में मार्च माह का अनाज 54.41 प्रतिशत वितरण कर लिया गया है. खूंटी के जिला आपूर्ति पदाधिकारी भीम उरांव ने बताया कि कार्डधारियों को केंद्र सरकार का अनाज देकर उससे लॉग-आउट करने की व्यवस्था है. फिर राज्य सरकार की सामग्री उसी ई-पोश मशीन के जरिये दी जाती है.

स्मार्ट पीडीएस फरवरी से लागू की गयी है. हालांकि मध्यप्रदेश के दतिया जिले में पूरी तरह से स्मार्ट पीडीएस को लागू कर वितरण व्यवस्था को डिजिटल बना दिया गया है. ऐसे में खाद्यान्न पर्ची नहीं मिलने की समस्या वहां खत्म हो गयी है. स्मार्ट पीडीएस स्कीम के तहत नागरिकों को स्मार्ट राशन कार्ड जारी किये जा रहे हैं.

इस कार्ड को स्केन करने के उपरांत लाभुकों का फिंगर प्रिंट स्केन कर सत्यापन किया जाता है और फिर अनाज दिया जाता है. ऐसे में इस स्कीम के लागू होने से अनाज की बंदरबांट पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है.

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