मौलाना कमरुद्दीन निजामी के अनुसार आज से करीब 14 सौ साल पूर्व 571 ई. में 12 रबीउल अव्वल को सादिक के वक्त अल्लाह त आला ने हुजूर-ए-पाक मोहम्मद साहब को जमीन पर भेजा. उस वक्त मक्का में दरिंदगी व हैवानियत का दौर था. हर ताकत फिरौन बना हुआ था, न इज्जत महफूज थी न औरतों का कोई मकाम था. बेहयाई चरम पर थी और गरीबों का कोई पनाहगार न था. पूरी तरह खुदगर्जी व मतलब परस्ती का आलम था. ऐसे समय में हुजूर-ए-पाक मोहम्मद सल…ने एक अच्छा मआशरा बनाकर कोहे सफा से एक होने की सदा लगायी तो एवाने बातिल में जलजला आ गया. कहा भी गया है कि “वो बिजली का कड़का था या सौते हादी-अरब की जमीं जिसने सारी हिला दी. “हेरा के गार से शाम ए नबुव्त की किरण पूरी, उजाला ही उजाला हो गया हरसू जमाने में. मदीने के उजालों हम भी तारीकी के मारे हैं, जरा सी रौशनी कर दे हमारे आशियाने में…” हा कि हजरत मोहम्मद सल. ने इंसाफ व अखलाक का ऐसा किरदार पेश किया कि पूरा मक्का उनका गर्विदा हो गया. 23 साल की मुद्दत में हुजूर ए पाक ने अखलाक का ऐसा नमूना पेश किया कि मक्का ही नहीं घर-घर उसकी रौशनी दिखाई पड़ती है. हुजूर ए पाक ने उठायी जईफा की गठरी, जईफा ने कहा: आपसे बेहतर कोई आया है न आयेगा. मौलाना कमरुद्दीन ने मोहम्मद साहब के जीवन पर चर्चा करते हुए एक वाक्या का जिक्र किया. कहा कि जब हजरत मोहम्मद सल. दीन की तबलीग के लिए निकलते हैं तो एक जईफा (बुजुर्ग महिला) गठरी लिए खड़ी मिलती है. पूछने पर वह कहती है कि मेरी गठरी उठा दो, वह मक्का से जा रही है. इसके बाद मोहम्मद साहब उनकी गठरी उठाते हैं जो काफी भारी होती है. गठरी उठाते हुए कहते हैं कि गठरी बहुत भारी है हम आपको जहां जाना है वहां तक छोड़ देंगे. मक्का छोड़ कर जाने के सवाल पर बुजुर्ग महिला कहती है कि यहां एक नौजवान जादूगर है जो उसको देख लेता है, सुन लेता है उसी का हो जाता है. तुम उसके पास मत जाना. उसका नाम मोहम्मद बिन अब्दुल्ला है. इसके बाद हुजूर ए पाक अपना परिचय देते हैं कि आप जिस के डर से मक्का छोड़ कर जा रही हैं हम वही मोहम्मद बिन अब्दुल्ला हैं. हुजूर ए पाक मोहम्मद सल. की बात सुन जईफ़ा ने कहा कि बेटा आपसे बेहतर न कोई दुनिया में आया है और न आएगा.
ईद मिलादुन्नबी : जुलूस ए मोहम्मदी की तैयारी में जुटे मुस्लिम धर्मावलंबी
शुक्रवार को हजरत मोहम्मद सल. के जन्म दिवस यानी 12 रबीउल अव्वल ( ईद मिलादुन्नबी ) है. ईद मिलादुन्नबी को ले मुस्लिम समुदाय में उत्साह का माहौल है. चहुँओर इस्लामिक झंडे लग गए हैं. मुस्लिम बहुल इलाके में विभिन्न घरों व मस्जिदों में सजावट शुरू हो चुकी है. ईद मिलादुन्नबी को ले जहां मुस्लिम समुदाय में उत्साह का माहौल है वहीं जुलूस ए मोहम्मदी को ले पुलिस प्रशासन भी मुस्तैद है. जानकारी के अनुसार मंगलवार को 12 रबीउल अव्वल यानी हजरत मोहम्मद सल. के जन्म दिवस दिवस है. ईद मिलादुन्नबी को ले शहर से गांव तक व्यापक तैयारी की जा रही है. कहीं मिलादुन्नबी तो कहीं जुलूस ए मोहम्मदी की तैयारी चल रही है. बाजार में भी इस्लामिक झंडे और अन्य सामानों की बिक्री जोरों पर है. इधर गांडेय प्रखंड के महेशमुण्डा, फुलजोरी, आहारडीह, घाटकुल, पहरीडीह, भंडरकुंडा समेत विभिन्न इलाके में उत्साह का माहौल है. जगह जगह तोरण द्वार,पंडाल बनाए जा रहे हैं. घर, मस्जिद एवं सद्कों को इस्लामिक झंडे व फुलझडियां से सजाया जा रहा है. इधर शांतिपूर्ण तरीके से ईद मिलादुन्नबी मनाने को ले पुलिस प्रशासन भी मुस्तैद है.
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