– प्रमोद अंबष्ट –
गिरिडीह : समाज में सदियों से अच्छे शिक्षकों का सम्मान किया जाता रहा है. बिना गुरु के ज्ञान अधूरा रहता है. शिक्षक बच्चों में अच्छे गुणों का बीजारोपण करते है. यह कहना है विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ सतीश्वर प्रसाद सिन्हा का. श्री सिन्हा कहते है कि शिक्षक छात्र–छात्राओं को सदाचार का पाठ सिखाते हैं.
इस कारण बच्चे कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानते हैं और सफल होने तक प्रयास करते रहते हैं. शिक्षक का पद काफी गरिमामय होता है. इसी कारण मैंने शिक्षा के क्षेत्र को चुना. मूल रूप से बिहार के सिवान व वर्तमान में गिरिडीह के बरगंडा कॉलेज रोड में रहने वाले डॉ सतीश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि एमएससी पास करने के बाद नौकरी का प्रयास करने लगा.
थोड़े से प्रयास में ही वर्ष 1979 में दीघा (पटना) के संत माइकल इंटर कॉलेज में प्राध्यापक के रूप में पढ़ाने का मौका मिल गया. वहीं वर्ष 1981 के नवंबर माह में गिरिडीह कॉलेज में प्राध्यापक के रूप में योगदान दिया. साथ ही वर्ष 2004 में विनोबा भावे विश्वविद्यालय का कुलसचिव बना. वे कहते हैं कि बच्चों को पढ़ाने में काफी खुशी मिलती है, जो किसी पुरस्कार से भी बढ़ कर है.
समाज में योग्य, अनुभवी व बुद्धिमान प्रबुद्ध जन की भरमार हो इसके लिए मैं निरंतर प्रयास करता रहा हूं. डॉ सिन्हा ने कहा कि प्रारंभिक शिक्षा सिवान से ग्रहण की. वर्ष 1971 में वीएमएचइ हाई स्कूल सिवान से मैट्रिक किया. इसके बाद संत जेवियर्स कॉलेज रांची से आइएससी व बीएससी की शिक्षा ग्रहण की. रांची विश्वविद्यालय से 1979 में एमएससी व 2005 में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की.