डॉक्टर निजी नर्सिंग होम व क्लिनिक में काम करने को दे रहे प्राथमिकता
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सरकारी सेवा में दिलचस्पी नहीं ले रहे डॉक्टर
डॉक्टर निजी नर्सिंग होम व क्लिनिक में काम करने को दे रहे प्राथमिकता गिरिडीह : कई चिकित्सकों को सरकारी सेवा रास नहीं आ रही है. यही कारण है कि डाॅक्टर सरकारी सेवा से इस्तीफा दे रहे है या वीआरएस की लाइन में खड़े है. जानकारी के अनुसार जनवरी 2018 में अनुबंध पर नियुक्त 23 चिकित्सकों […]
गिरिडीह : कई चिकित्सकों को सरकारी सेवा रास नहीं आ रही है. यही कारण है कि डाॅक्टर सरकारी सेवा से इस्तीफा दे रहे है या वीआरएस की लाइन में खड़े है. जानकारी के अनुसार जनवरी 2018 में अनुबंध पर नियुक्त 23 चिकित्सकों की पदस्थापना गिरिडीह में हुई थी. चौदह ने सदर अस्पताल में ज्वाइन किया.
परंतु चंद दिनों में ही बारी-बारी से नौ ने नौकरी छोड़ दी. दरअसल राज्य सरकार की सख्ती के बाद चिकित्सकों के लिए नर्सिंग होम या क्लिनिक में काम करने के साथ सरकारी सेवा में रहना कठिन हो रहा था. चिकित्सक सरकारी सेवा के बजाय निजी नर्सिंग होम या क्लिनिक में काम करने को प्राथमिकता दे रहे हैं.
पूर्व सीएस डाॅ रामरेखा प्रसाद के कार्यकाल में सुबह नौ से दोपहर तीन तक सरकारी चिकित्सकों को चिकित्सा केन्द्र में सेवा देना अनिवार्य कर दिया गया था. जून 18 में डाॅ प्रसाद ने जिले में कार्यरत चिकित्सकों से लिखित जानकारी मांगी कि सरकारी सेवा के अलावा किस निजी क्लिनिक या नर्सिंग होम में सेवा दे रहे हैं. इनमें पांच चिकित्सकों ने विभाग को उक्त जानकारी उपलब्ध करायी.
परंतु सच यह है कि दो को छोड़ बाकी सभी चिकित्सकों का नर्सिंग होम है या निजी क्लीनिक. इनमें पति-पत्नी की चिकित्सक जोडी का तो आवास ही शहर के एक निजी नर्सिंग होम में है. जबकि उनकी पदस्थापना दो अलग-अलग स्वास्थ्य केन्द्रों में है. डाॅ प्रसाद आगे कुछ सख्ती करते इससे पूर्व उनका तबादला हो गया.
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