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विदेश में भी चमक रहा बेंगाबाद का रेशम

बेंगाबाद का अग्र परियोजना केंद्र कोकून उत्पादन के क्षेत्र में पूरे राज्य स्तर में पहले पायदान पर है. यहां स्थित बीजागार में प्रत्येक वर्ष करोड़ों कोकून तैयार किये जाते हैं. देश के विभिन्न क्षेत्रों के अलावा विदेशों में भी बेंगाबाद के रेशम की चमक फैली है और वहां भी इसकी व्यापक डिमांड है. बेंगाबाद : […]

बेंगाबाद का अग्र परियोजना केंद्र कोकून उत्पादन के क्षेत्र में पूरे राज्य स्तर में पहले पायदान पर है. यहां स्थित बीजागार में प्रत्येक वर्ष करोड़ों कोकून तैयार किये जाते हैं. देश के विभिन्न क्षेत्रों के अलावा विदेशों में भी बेंगाबाद के रेशम की चमक फैली है और वहां भी इसकी व्यापक डिमांड है.
बेंगाबाद : बेंगाबाद में तैयार किये जा रहे कोकून की मांग देश ही नहीं विदेश में भी है. यहां स्थित अग्र परियोजना विभाग की ओर से तैयार धागे की उच्च क्वालिटी के कारण इसकी भारी डिमांड है.
ये कोकून और धागे पूर्णत: हाइजेनिक होते हैं. बिना किसी केमिकल व हिंसा के तैयार होने के कारण रेशम धागों की मांग जैन धर्मावलंबियों में के बीच बढ़ गयी है . बताया जाता है कि पूर्व से ही यहां के कोकून से तैयार धागे की बिक्री देश के विभिन्न राज्यों के साथ विदेश में भी हो रही थी,लेकिन जैन धर्मावलंबी इसके उपयोग से परहेज करते थे. उनके अनुसार कोकून से तैयार रेशम में तितली की हत्या की बात बतायी जाती थी. इस मिथक को दूर करने के लिए राजस्थान सहित अन्य राज्यों के बड़े-बड़े उद्योगपतियों ने बेंगाबाद आकर बारिकी से जांच-पड़ताल की और किसी प्रकार की हिंसा नहीं होने की पुष्टि की तो यहां के रेशम की डिमांड और बढ़ गयी.
विदेशियों को भा रहे रेशम के वस्त्र : बेंगाबाद में की जा रही तसर की खेती को देखने के लिए झारक्राफ्ट के साथ विदेश की कई नामी-गिरानी कंपनियों के सीइओ ने बेंगाबाद का दौरा किया. जंगलों में जाकर विदेशी कंपनियों के प्रमुखों ने काफी बारीकी से इस उद्योग को समझा और प्रभावित भी हुए. पूर्व के वर्षों में झारक्राफ्ट विदेशों में यहां के रेशम को निर्यात कर चुकी है. चीन की तुलना में भारत के रेशम की क्वालिटी बेहतर होने के कारण काफी डिमांड है. फिलहाल झारक्राफ्ट से टाइअप नहीं होने के बाद भी इसकी भारी खपत हो रही है.
45 से 50 दिनों में प्रत्येक किसान 30 से 40 हजार की कर रहे हैं आमदनी
इसके लिए 325 रेशम दूत, 750 बीज कीटपालक और 14300 वाणिज्यिक कीटपालक कार्य कर रहे हैं. बताया कि 45 से 50 दिनों के मेहनत में प्रत्येक किसान 30 से 40 हजार की आमदनी कर रहे हैं. मजदूरों के परिवार के लिए विभाग की ओर से स्वास्थ्य बीमा सहित अन्य सुविधाएं भी देने से मजदूरों का जुड़ाव इस उद्योग की ओर अधिक देखा जा रहा है. बताया कि रेशमदूतों के माध्यम से उधार पर विभाग से अंडा, ग्रेनेज आदि की सुविधा दी जाती है.
उत्पादन के बाद सरकारी दर पर कोकून को विभाग ही खरीद लेता है,जिससे उसे बेचने की भी चिंता नहीं सताती है. कहा कि कोकून में लगने वाले रोगों के रोकथाम के लिए भी विभाग की ओर से ब्लीचिंग पाउडर, चूना, स्प्रे मशन, सिनेचर, आरी आदि वस्तुए नि:शुल्क उपलब्ध करा रही है. कहा कि उत्पादन बढ़ाने के लिए विभाग उक्त पंचायतों में व्यापक पैमाने पर पौधरोपण भी करा रहा है, ताकि अधिक से अधिक मजदूरों को रोजगार से जोड़ा जा सके.

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