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महामारी के प्रकोप से बचने के लिए ढेंगाडीह में शुरू की गयी थी पूजा
देवरी : देवरी प्रखंड के ढेंगाडीह स्थित सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में 137 वर्ष से शारदीय नवरात्र का आयोजन किया जा रहा है. बताया जाता है कि ढेंगाडीह में महामारी का प्रकोप से लोग त्रस्त थे. इसे लेकर गांव के सूंडी परिवार द्वारा मां दुर्गा से लोगों को महामारी से उबारने कामना की गयी. महामारी से […]
देवरी : देवरी प्रखंड के ढेंगाडीह स्थित सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में 137 वर्ष से शारदीय नवरात्र का आयोजन किया जा रहा है. बताया जाता है कि ढेंगाडीह में महामारी का प्रकोप से लोग त्रस्त थे. इसे लेकर गांव के सूंडी परिवार द्वारा मां दुर्गा से लोगों को महामारी से उबारने कामना की गयी.
महामारी से उबरने के बाद सन् 1880 में सूंडी परिवार द्वारा गांव के ग्रामीणों के सहयोग से दुर्गापूजा का शुभारंभ किया गया, जो कि अब तक निरंतर जारी है. वर्तमान समय में उक्त परिवार के सदस्य पूजा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. इस मंदिर के प्रति लोगों में गहरी आस्था है.
यहां मांगी गयी मन्नत पूरी होती है और मन्नत पूरी होने के बाद श्रद्धालुओं द्वारा मां दुर्गा के साज-सज्जा के खर्च का भार उठाया जाता है. साथ ही बकरे की बलि भी दी जाती है. इस वर्ष गांव के ही नारायण वर्णवाल द्वारा साज-सज्जा के खर्च का वहन किया जा रहा है.
मंदिर में पूजा के शुभारंभ वर्ष से ही गांव के राणा परिवार द्वारा मां दुर्गा की प्रतिमा का निर्माण कराया जा रहा है. वर्तमान समय में हरिहर राणा के नेतृत्व में प्रतिमा का निर्माण किया जा रहा है.
1968 से भैंसा की बलि पर रोक : समिति के सदस्यों ने बताया कि पूर्व में यहां पर भैंसा की बलि देने की प्रथा थी, लेकिन वर्ष 1968 में भैंसा की बलि प्रथा पर रोक लगा दी गयी. हालांकि बकरा की बलि देने की प्रथा आज भी कायम है.
पूजा में पहला बलि सूंडी परिवार के लोगों द्वारा दिया जाता है. पूजा के सफल आयोजन में अध्यक्ष शंभु प्रसाद राय, सचिव रामानुजम, उपाध्यक्ष हीरा मंडल, सत्यानंद कुमार, राजेश कुमार, पवन कुमार नायक, राजीव कुमार, राजीव रंजन, संजीव कुमार अकेला, आशीष कुमार आदि जुटे हुए हैं.
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