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कार्यस्थल पर नहीं लग रहा योजना संबंधी बोर्ड

देखरेख के अभाव में योजनाओं के क्रियान्वयन में हो रही खानापूर्ति गांडेय. मजदूरों को सौ दिन रोजगार की गारंटी देने, गांवों के विकास और पलायन रोकने के लिए शुरू की गयी महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना धांधली का जरिया बन गया है. इसके पीछे विभागीय पेंच और अधिकारियों की लापरवाही भी बड़ी वजह है. इसका […]

देखरेख के अभाव में योजनाओं के क्रियान्वयन में हो रही खानापूर्ति
गांडेय. मजदूरों को सौ दिन रोजगार की गारंटी देने, गांवों के विकास और पलायन रोकने के लिए शुरू की गयी महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना धांधली का जरिया बन गया है.
इसके पीछे विभागीय पेंच और अधिकारियों की लापरवाही भी बड़ी वजह है. इसका उदाहरण मनरेगा की 90 प्रतिशत योजनाओं में योजना से संबंधित प्राक्कलन बोर्ड न होना है. मनरेगा योजनाओं में कार्यस्थलों पर शायद ही कहीं बोर्ड नजर आता है. मनरेगा एक्ट से जुडी अन्य जानकारी भी नहीं मिलती.
पुराने तालाब या गड्ढे की मरम्मत कर दिया डोभा का स्वरुप : मनरेगा योजनाओं में कार्यस्थल पर प्राक्कलन बोर्ड नहीं लगाने का सीधा लाभ ठेकेदार किस्म के लोगों को मिल रहा है. ऐसे लोग एक ही डोभा को दो-दो बार दिखा कर राशि की बंदरबांट कर रहे हैं. पुराने डोभा को नया बताकर राशि की निकासी की जा रही है. यहीं नहीं बिना काम पूरा किये ही कई योजनाओं की एमबी कराकर राशि की लूट की जा रही है.
मस्टर रोल के नाम पर खानापूर्ति, बगैर सामग्री आवंटन के भाउचर समेत बगैर स्थल गये एमबी बुक करने, देखरेख व जांच के अभाव में मनरेगा योजनाओं में गड़बड़ी की जा रही है.
जांच हुई तो कई पर गिर सकती है गाज: सिंह : पूर्व प्रखंड समन्वयक भागवत सिंह ने कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में मनरेगा योजनाओं की देखरेख के लिए कमेटी का गठन हुआ था. लेकिन भाजपा सरकार में मनरेगा लूट व भ्रष्टाचार की दलदल में धंस चुकी है. योजनाओं की जांच हुई तो मेट से लेकर मेटेरियल आपूर्तिकर्ता व संबंधित अधिकारी पर भी गाज गिर सकती है़

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