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न्याय व्यवस्था को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और डिजिटल बनाने की जरूरत

न्याय व्यवस्था को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और डिजिटल बनाने की जरूरत

गढ़वा. सरकार तीन फरवरी को राज्य का वार्षिक बजट पेश करने वाली है. बजट को लेकर विभिन्न क्षेत्रों के लोग अपनी उम्मीदें और मांगें सरकार तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. इसी कड़ी में प्रभात खबर ने गढ़वा व्यवहार न्यायालय में अधिवक्ताओं के बीच बजट को लेकर एक विशेष परिचर्चा का आयोजन किया गया. इसमें जिले के प्रतिष्ठित अधिवक्ताओं ने भाग लिया और न्याय व्यवस्था, कानूनी सुधारों, अधिवक्ताओं के कल्याण, भूमि विवादों के समाधान और डिजिटल न्याय प्रणाली को लेकर अपनी राय रखी. डिजिटल कोर्ट की व्यवस्था को प्राथमिकता मिले : गौतम कृष्ण सिन्हा

गढ़वा जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष गौतम कृष्ण सिन्हा उर्फ बुल्लू बाबू ने कहा कि झारखंड की न्यायिक व्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए सरकार को इस बार के बजट में नये कोर्ट भवनों के निर्माण, आधारभूत ढांचे के सुदृढ़ीकरण और डिजिटल कोर्ट व्यवस्था को प्राथमिकता देनी चाहिए. कई जिलों में न्यायालय परिसर में जगह की कमी और सुविधाओं का अभाव देखा जाता है. यदि न्यायालयों में डिजिटल रिकॉर्ड की व्यवस्था की जाये, तो मामलों की सुनवाई तेज हो सकती है. न्यायपालिका को मजबूत करने के लिए सरकार को बजट में विशेष प्रावधान करना चाहिए.

कानूनी सहायता सेवा मजबूत करने की जरूरत : परेश तिवारी

गढ़वा व्यवहार न्यायालय के सरकारी अधिवक्ता (जीपी) परेश कुमार तिवारी ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि झारखंड के ग्रामीण इलाकों में कानूनी सहायता सेवाएं मजबूत करने की जरूरत है. अभी भी बहुत से लोग न्यायिक प्रक्रिया से वंचित रह जाते हैं. क्योंकि उन्हें सही जानकारी नहीं मिल पाती. सरकार को इस बजट में कानूनी जागरूकता अभियान, मुफ्त कानूनी सहायता केंद्रों की स्थापना और वकीलों के लिए प्रोत्साहन योजनाएं शुरू करनी चाहिए. ताकि न्याय व्यवस्था आम जनता के और करीब आ सके. उन्होंने कहा कि वैसे वर्तमान सरकार ने इस क्षेत्र में कई बेहतर कार्य किये हैं. पर बेहतरी के लिए बजट में प्रावधान लाभकारी साबित हो सकता है.

ई-कोर्ट प्रणाली को बढ़ावा देने की जरूरत : प्रमोद कुमार

वरिष्ठ अधिवक्ता प्रमोद कुमार ने कहा कि न्यायपालिका में पारदर्शिता और गति लाने के लिए ई-कोर्ट प्रणाली को बढ़ावा देने की जरूरत है. झारखंड के ग्रामीण इलाकों में कानूनी जागरूकता की कमी है. इस कारण लोग अपने अधिकारों और कानूनी प्रक्रियाओं से अनभिज्ञ रहते हैं. सरकार को इस बजट में ग्रामीण इलाकों में कानूनी जागरूकता अभियान चलाने के लिए विशेष धनराशि आवंटित करनी चाहिए. इसके अलावा, न्यायालय कर्मियों और अधिवक्ताओं के लिए कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा भी होनी चाहिए, जिससे उनका कामकाज सुगम बनाया जा सके.

डिजिटल भूमि रिकॉर्ड, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सिस्टम मजबूत हो : मृत्युंजय कुमार तिवारी

गढ़वा जिला अधिवक्ता संघ के महासचिव मृत्युंजय कुमार तिवारी ने कहा कि झारखंड में भूमि विवादों के मामलों की संख्या बहुत अधिक है. इससे न्यायालयों पर भारी दबाव रहता है. भूमि संबंधित मामलों के त्वरित निपटारे के लिए सरकार को डिजिटल भूमि रिकॉर्ड और ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सिस्टम को और अधिक प्रभावी बनाना चाहिए. इसके अलावा, न्यायालयों में भूमि संबंधी मामलों के लिए विशेष बेंच या फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना की जानी चाहिए. ताकि लंबे समय से लंबित मामलों को शीघ्र निपटाया जा सके.

कानूनी शिक्षा को सशक्त बनाने का हो प्रावधान : सौरभ धर दूबे

अधिवक्ता सौरभ धर दुबे ने कहा कि कानूनी शिक्षा और न्याय प्रणाली को सशक्त बनाने के लिए सरकार को बजट में विशेष प्रावधान करना चाहिए. राज्य में लॉ कॉलेजों और कानूनी प्रशिक्षण संस्थानों को अधिक संसाधन दिये जाने चाहिए, ताकि नये अधिवक्ताओं को बेहतर प्रशिक्षण मिल सके. इसके अलावा, न्यायालयों में कार्यरत अधिवक्ताओं के लिए भी विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों की व्यवस्था होनी चाहिए. इससे वे बदलती कानूनी प्रक्रियाओं और डिजिटल अदालतों के साथ खुद को अपडेट रख सकेंगे.

कानूनी लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर की सुविधा हो : अनुराग चंदेल

गढ़वा व्यवहार न्यायालय के युवा अधिवक्ता अनुराग चंदेल ने कहा कि आज के दौर में न्यायिक व्यवस्था को डिजिटल रूप देने की आवश्यकता है. सरकार को ई-कोर्ट्स और वर्चुअल सुनवाई को बढ़ावा देने के लिए बजट में विशेष धनराशि आवंटित करनी चाहिए. इससे न्याय प्रक्रिया में तेजी आयेगी और मामलों का शीघ्र निपटारा संभव होगा. साथ ही, गढ़वा जैसे जिलों में अधिवक्ताओं के लिए कानूनी लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर की सुविधा को भी बढ़ाया जाना चाहिए, जिससे युवा अधिवक्ता अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सकें.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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